दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी से 28 अगस्त को कॉलेजों के प्राचार्यों को भेजे गए एडहॉक पदों के स्थान पर अतिथि शिक्षकों से संबंधी सर्कुलर तुरंत वापिस लेने की मांग की है। साथ ही कॉलेजों द्वारा लंबे समय तक स्थायी नियुक्ति ना कर उन पदों को अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर्स) में तब्दील करने की कड़े शब्दों में निंदा की है।
प्रो. सुमन ने बताया है कि कॉलेज प्राचार्य को भेजा गया सर्कुलर डीयू कॉलेज शाखा द्वारा 28 अगस्त, 2019 को जारी किया गया। जारी होने के बाद विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले, जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है। सर्कुलर जारी होने से पहले और उसके बाद केशव महाविद्यालय, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, सत्यवती कॉलेज के अलावा कुछ कॉलेजों ने गेस्ट टीचर्स के पदों के विज्ञापन निकाले। उनका यह भी कहना है कि गेस्ट टीचर्स की छात्रों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। वह आएगा और कक्षा लेकर चला जायेगा। साथ ही स्थायी नियुक्ति के समय उसके अनुभव को कॉलेज कोई महत्व नहीं देता।
प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू नहीं करता है वे जिसे चाहे आसानी से लगा रहे हैं। उन्होंने बताया है कि सरकार की नीति है कि धीरे-धीरे एडहॉक पदों को समाप्त कर उन्हें गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर आरक्षण नीति को समाप्त करना है। यदि स्थायी / या एडहॉक पद निकाले जाएंगे तो रोस्टर और आरक्षण लागू करना पड़ेगा।
प्रो. सुमन ने बताया है कि विश्वविद्यालय नीति के अनुसार, नए पदों को अस्थायी / एडहॉक व्यवस्था के माध्यम से भरा जा सकता है जब तक कि पदों को स्थायी आधार पर नहीं भरा जाता है। जबकि, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा भेजे गए पत्र बताता है कि गेस्ट टीचर्स (अतिथि संकाय) के माध्यम से ही व्यवस्था करें।उनका कहना है कि यदि इस व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करना था या नीति को बदलना है तो विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों अर्थात अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद और विश्वविद्यालय न्यायालय के अधिकारी इसे कर सकते हैं और यह वीसी के कार्यकारी आदेशों के माध्यम से नहीं हो सकता है।, इसलिए कम से कम अब विश्वविद्यालय को यह कहते हुए सही पत्र भेजना चाहिए कि डीयू की वर्तमान नीति के अनुसार इन रिक्तियों को स्थायी आधार पर भरने तक अस्थायी / एडहॉक शिक्षण व्यवस्था की जा सकती है। उम्मीद है कि तुरंत सुधार किया जाएगा।
उनका कहना है कि इसी पत्र में, यह उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय ने यूजीसी विनियम, (रेगुलेशन 2018) को अपनाया है। हालाँकि, एक बार फिर आपके अधीन विश्वविद्यालय प्रशासन इसे अपनाने के परिणाम के अनुसार पदोन्नति आदि के लिए विश्वविद्यालय के संशोधित अध्यादेश भेजने में विफल रहा है।, इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के पास पदोन्नति योजना,एमफिल और पीएचडी वेतन वृद्धि आदि में देरी किए बिना जल्द से जल्द पदोन्नति के लिए कमेटी व टीचर्स के नामों को भेजा जाये।
प्रो. सुमन ने कहा कि मौजूदा एडहॉक 5000 शिक्षकों के समायोजन करने के लिए एक बार विशेष प्रावधान लाकर विश्वविद्यालय विभागों और कॉलेजों में नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करना भी महत्वपूर्ण और जरूरी है, जिसके लिए एसी और ईसी के माध्यम से तौर-तरीके निर्धारित किए जा सकते हैं और सरकार की मंजूरी तब प्राप्त की जा सकती है, जहां कभी जरूरी हो। मौजूदा एडहॉक टीचर्स के समायोजन की मांग एक न्यायोचित मांग है क्योंकि स्थायी आधार पर पदों को भरने के लिए जानबूझकर देरी 2010 के बाद से डीयू प्रशासन की ओर से की गई थी। इन देरी और चूक ने इन एडहॉक टीचरों को सालों तक एडहॉक रहने के लिए मजबूर कर दिया है। आखिर उनकी क्या गलती है ? उन्होंने कई अन्य वर्षों के बिना विश्वविद्यालय और कॉलेजों की सेवा की है जैसे वेतन वृद्धि, एलटीसी, मातृत्व अवकाश, चिकित्सा सुविधाएं आदि। उन्हें अब उनके संबंधित पदों से हटाया नहीं किया जा सकता है और इसलिए उन्हें नियमित किया जाए।
उन्होंने बताया है कि 28 अगस्त 2019 के दिल्ली विश्वविद्यालय के इस सर्कुलर को वापिस लेने की मांग को लेकर डीयू के शिक्षकों द्वारा कुलपति कार्यालय के बाहर 5 सितम्बर (शिक्षक दिवस) के अवसर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और मांग की जाएगी कि कॉलेजों को भेजा गया सर्कुलर तुरंत वापिस लें।
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