जेएनयू, डीयू समेत देश के तमाम विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी जल्दी से जल्दी विश्वविद्यालय परिसर को ख़ोलने और ऑफलाइन कक्षाएं शुरु करने की मांग कर रहे हैं। 15 मार्च को भी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थियों ने अपनी इसी मांग को लेकर एक बार फ़िर से विरोध प्रदर्शन किया। विद्यार्थी लगभग पिछले एक महीने से विश्वविद्यालय परिसर को खोलने की मांग कर रहे हैं और कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।
उनका कहना है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे संस्थान में अधिकतर दूर दराज के ग्रामीण और गरीब विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं, इन विद्यार्थियों के पास इंटनेट, बिजली और लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में ऑनलाइन कक्षाएं लेने में विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 8 मार्च को विद्यार्थियों ने प्रशासन को 800 ऐसे ही विद्यार्थियों के नामों की लिस्ट दी थी जिन्हें ऑनलाइन कक्षाएं लेने में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जामिया विश्वविद्यालय के एक छात्र ने हमसे बातचीत में बताया कि मैं डेली ऑनलाइन क्लासेज नहीं ले पाता हूं क्योंकि मैं बिहार के सारण जिले के एक छोटे गाँव, बस्ती जलाल से हूँ जहाँ मोबाइल नेटवर्किंग का प्रॉबलेम हमेशा रहता है। कितनी बार मैम से बात भी सुन चुका हूँ कि तुम इतना लेट ज्वॉइन क्यों करते हो? इसके अलावा मैं ऑनलाइन क्लासेज से अभी तक कुछ नहीं सीख पाया हूं। हमारी भी मजबूरी को सुना जाए और ऑफ़लाइन क्लासेज को शुरु करके हम लोगों को अपना भविष्य बनाने का सुनहरा मौका दिया जाए। नहीं तो हम लोगों के पास डिग्री तो होगी लेकिन जानकारी नहीं होगी। हम स्टूडेंट्स के साथ-साथ सर-मैम और इसके अलावा जिम्मेदार लोगों को भी यह हक़ है कि ऑफ़लाइन क्लास को स्टार्ट कराने में मदद करें।
इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि छात्र किस तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं
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क्या हैं विद्यार्थियों की मांगे?
मांग यही है कि जब एयरपोर्ट खुल सकते हैं, ट्रेनें, बसें चल सकती हैं, शॉपिंग मॉल से लेकर सिनेमा हॉल तक ख़ुल सकते हैं, चुनावी रैलियाँ हो सकती हैं, सरकार स्कूल खोल सकती है तो फ़िर विश्वविद्यालयों को क्यों बंद रख़ा गया है?
विद्यार्थियों की सबसे अहम मांग यह है कि विश्वविद्यालय परिसर को खोला जाए और सभी विभागों के विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी और लैब की सुविधाएँ मुहैया कराई जाएं। विश्वविद्यालय ने फ़िलहाल सीमित स्तर पर महज़ रिसर्च और साइंस के विद्यार्थियों को ही लाइब्रेरी, रीडिंग रूम और लैब की सुविधा दी है। इसके अलावा जो विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षाएं ठीक से नहीं ले पा रहे हैं, उनके लिए ऑफ़लाइन कक्षाओं का इंतज़ाम किया जाए।
विरोध प्रदर्शन के 5 घंटे बाद की प्रशासन ने बात
विद्यार्थी सुबह से ही विरोध प्रदर्शन कर वीसी नजमा अख़्तर तक अपनी बात पहुंचाने की मांग कर रहे थे। इससे पहले भी वे कई बार वीसी के सामने अपनी मांग रखने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन वीसी से उनकी बात नहीं हो पाई।
इस बार भी वीसी ख़ुद तो नहीं आईं, न ही विद्यार्थियों को अंदर आने दिया गया। लेकिन प्रशासन की ओर से दो लोगों ने बाहर आकर विद्यार्थियों से बात की और उनकी मांगों पर विचार करने लिए 30 मार्च तक का समय मांगा। हालांकि आगामी प्रथम सत्र की परीक्षाओं को नज़दीक आते देख़ विद्यार्थी 30 मार्च तक रुकने को तैयार नहीं हैं। उनकी मांग है कि परीक्षाओं की तैयारी के लिए विश्विद्यालय परिसर को जल्दी से जल्दी खोला जाए।
नहीं मानी मांगे, तो जारी रखेंगे विरोध प्रदर्शन
विद्यार्थियों का कहना है कि अगर दो दिन के अंदर वीसी ने उन्हें लिखित आश्वासन देकर उनकी मांगे नहीं मानी तो वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। पहले ही एडमिशन और सत्र की शुरुआत देरी से हुई, ऊपर से प्रथम सत्र की परीक्षाएं भी नज़दीक हैं। ऐसे में अग़र प्रशासन उनकी मांगे नहीं मानता है तो विद्यार्थियों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन को जारी रखने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं रह जाता है।
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