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जानिए सीमा समृद्धि कुशवाहा के बारे में, जिनकी वजह से निर्भया को मिला इंसाफ

नई दिल्लीः निर्भया मामले में दोषियों के फांसी के फंदे पर लटकने के साथ-साथ पूरे देश को इंसाफ मिल चुका है। ऐसी उम्मीद है कि बेटियों के साथ हो रहे अपराधों में कमी आएगी। ज्यादातर लोग खुश हैं, बधाईयां दे रहे हैं और मिठाइयां बांट रहे हैं। निर्भया की मां को सबसे ज्यादा खुशी मिली जो कोर्ट तक आंसुओं के साथ देखी जा रही थीं। निर्भया की मां और उसके पिता अपनी बेटी को याद कर रहे हैं और देशभर से मिली महानुभूति के लिए आभार जता रहे हैं। इन सबके बीच सबसे ज्यादा आभार अगर पीड़ित दंपती जता रहा है तो वह हैं सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा। सीमा केस को हाथ में लेने के बाद से चट्टान की तरह निर्भया के परिवार के साथ खड़ी रही हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह की सारी तिकड़मबाजी इनके तर्कों के सामने दम तोड़ती रही। आखिरकार वह जीत की मंजिल तक पहुंच गईं।

फांसी के बाद वकील सीमा ने कहा, निर्भया, आपको न्याय दिला कर एक सुकून है, लेकिन आपके दर्द को कम नहीं कर सके थे। देश की हजारों बेटियां आज भी इसी दर्द में जी रही हैं। सिस्टम कब सक्रिय रूप से कार्य करेगा? उन्होंने कहा कि इंसाफ की लड़ाई आसान न थी, लेकिन एक उम्मीद थी कि देर भले ही हो न्याय जरूर मिलेगा विरोधी पक्ष भी बहुत मजबूत था। वह इस केस में अड़चन डालने की लगातार कोशिश करता रहा, लेकिन उनकी इस हरकतों से अदालतों को भी यकीन हो चला था कि मामले को सिर्फ उलझाने की कवायद थी।

सीमा समृद्धि कहती हैं कि निर्भया के लिए लड़ना आसान बात नहीं थी, बल्कि कई तरह की चुनौतियां आईं। तीन बार डेथ वारंट का निरस्त हो जाना उनमें से एक था, लेकिन दिल और दिमाग में एक बात साफ थी कि दोषी किसी भी सूरत में नहीं बच सकेंगे। बचाव पक्ष की दलीलें अंतिम रूप से नकार दी जाएंगी। आप सबने देखा होगा कि किस तरह से उन बातों को न्यायिक बहस के आलोक में लाया जा रहा था जिसका कोई आधार नहीं था। दिल्ली हाईकोर्ट में जब बचाव पक्ष की तरफ से आखिरी दलीलें पेश की जा रहीं थी तो अभियोजन के तर्क बेदम साबित हो रहे थे और उम्मीद कामयाबी में बदल गई कि अब 20 मार्च का दिन दोषियों के लिए आखिरी दिन साबित होगा।

निर्भया की मां ने कहा कि हमारे वकील के बिना यह संभव नहीं था

घटना के बाद सीमा ने निर्भया का केस मुफ्त लड़ने की घोषणा की और निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक निर्भया के दोषियों को फांसी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। फांसी के बाद निर्भया की मां ने सबसे पहले सीमा कुशवाहा को ही धन्यवाद कहा है। निर्भया की मां ने कहा कि हमारे वकील के बिना यह संभव नहीं था।

पिता बोले, बेटी को मैंने हमेशा बेटा ही माना

निर्भया के दोषियों को फांसी के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि ‘लड़ाई लंबी रही है, संतुष्ट हूं। समाज से नहीं सिस्टम से शिक़ायत है। बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है। लोगों से यही कहूंगा कि बेटे और बेटी के बीच भेद न करें। मेरी बेटी ज़िंदा नहीं है पर मैने उसे बेटा ही माना। रात भर सुनवाई चली लेकिन हमें कोर्ट पर यकीन था। मैं संतुष्ट हूं। पर चैन से सो नहीं पाऊंगा, अब भी मूझे मेरी बेटी की सिंगापुर की तस्वीर याद है। बस कल्पना ही कर सकता हूं कि फ़ांसी पर वो कैसे लटके होंगे। मैं सबका धन्यवाद करता हूं।’

कौन हैं सीमा समृद्धि कुशवाहा?

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की रहने वाली सीमा समृद्धि सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और निर्भया ज्योति ट्रस्ट में कानूनी सलाहकार भी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल करने वाली सीमा ने 2014 में ही सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। वह 24 जनवरी, 2014 को निर्भया ज्योति ट्रस्ट से जुड़ीं। वह पहले आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं इसके लिए तैयारी भी कर रही थीं।

डीयू से पढ़ाई करने वाली सीमा का यह पहला केस था

दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई करने वाली सीमा निर्भया बालात्कार व हत्या की घटना के समय कोर्ट में ट्रेनी कर रही थी। घटना के बाद सीमा ने निर्भया की केस मुफ्त लड़ने की घोषणा की और निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक निर्भया के दरिंदों को फांसी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। घटना के बाद राष्ट्रपति भवन पर लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया था। सीमा इस प्रदर्शन में शामिल हुई थी। सीमा बताती है कि प्रदर्शन के दौरान ही उन्होंने ठान लिया था कि निर्भया के दोषियों को फांसी दिलवाकर रहेगी। उसी के बाद वे 2014 में इस केस से जुड़ी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

विकास पोरवाल
पत्रकार और लेखक

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