गुजरात में चुनावी बिगुल बज चुका है। तमाम रैलियां और रोड शो अलग अलग पार्टियों के द्वारा किया जा रहा है। तमाम दावे और वादे किये जा रहे हैं। ऐसी कई विधानसभाएं हैं। जिन पर तीनों पार्टियों में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। यानि त्रिकोणिय मुकाबला होगा। गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण यानी 1 दिसंबर को 19 जिलों की 89 सीटों पर मतदान होगा। तो वहीं दूसरी तरफ 5 दिसंबर यानी दूसरे चरण में 14 जिलों में 93 सीटों पर मतदान होगा। मुकाबला टक्कर का है क्योंकि इस गुजरात बीजेपी का गढ़ माना जाता है। 25 सालों से केवल बीजेपी ही गुजरात पर राज करती आ रही है। लेकिन इस बार टक्कर देने आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतरी है।
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गुजरात विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण के 93 सीटों में किन उम्मीदवारों के बीच हो रहा है जमकर मुकाबला, जानिये
जीत के लिए कितनी सीटों की जरूरत?
गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 92 सीटों की जरूरत होती है। 2017 के विधानसभा चुनाव भाजपा को 99, कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थी। छह सीटें निर्दलीय और अन्य के खाते में गई थीं।
जानते हैं कि कौन कौन सी सीटों पर बराबर की टक्कर है? पहले चरण में 1 दिसंबर को चुनाव होगा। इसमें 19 जिलों पर 89 विधानसभा सीटें हैं। जिन जिलों में पहले चरण में मतदान होगा उनमें कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाद, नर्मदा, भरूच, सूरत, तापी, डांग्स, नवसारी, और वलसाड जिले शामिल हैं। यानी, पहले चरण में सौराष्ट्र कच्छ और दक्षिण गुजरात में चुनाव पूरा हो जाएगा।
ये सीटें है खास
मोरबी जिला
इसमें 3 विधानसभा सीटें हैं, मोरबी, टंकारा, वांकनर।
इस समय सबसे अधिक चर्चा में गुजरात का मोरबी जिला है। दरअसल 30 अक्टूबर को मोरबी जिले के मच्छु नदी पर बना ब्रिज टूटने से इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी।
साल 1995 से लेकर 2012 तक यह सीट भाजपा के खाते में रही, लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की थी। हालांकि, बाद में कांग्रेस को सीट और उम्मीदवार दोनों ही गंवाने पड़ गए। 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेश मेरजा ने 3400 से ज्यादा मतों से भाजपा के कांति अमृतिया को हराया था। बाद में बृजेश भाजपा में चले गए और 2020 में सीट से उपचुनाव लड़ा और दोबारा जीत गए। इस बार भाजपा से कांतिलाल अमृतिया, कांग्रेस से जयंती पटेल और आप से पंकजभाई राणसरिया के बीच मुकाबला है। कांतिलाल की इसलिए चर्चा है क्योंकि भाजपा ने बृजेश को कैबिनेट मंत्री होते हुए भी टिकट नहीं दिया जबकि उन्हें मोरबी हादसे में जान बचाने वालों में शामिल होने की वजह से टिकट दे दिया।
कच्छ जिला
इसमें 6 विधानसभा सीटें हैं, अडवासा, मांडवी, भुज, अंजर, गांधीधाम(SC), रापर।
गुजरात की रापर विधानसभा महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है इसका जातिगत समीकरण देखने पर पता चलता है कि यहां ओबीसी 51 फीसदी, सौरन 22 फीसदी, अल्पसंख्यक 14 फीसदी, एससी 12.4 प्रतिशत और एसटी 2.2 प्रतिशत हैं. विधानसभा क्षेत्र में डेढ़ लाख की अनुमानित आबादी में पाटीदार, कोली, ठाकोर, क्षत्रिय वोट हैं. रापर विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाले कई इलाकों में बुनियादी मुद्दों को लेकर लोगों में आक्रोश है। इस सीट पर भाजपा से विरेंद्र सिंह जाडेजा, कांग्रेस से बच्चूभाई अरेथिया और आप से अंबा भाई पटेल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।
राजकोट जिला
यहां से महात्मा गांधी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की। यहां उनके पिता दीवान थे। इस जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम, राजकोट दक्षिण, राजकोट ग्रामीण (अनुसूचित जाति), जसदन, गोंडल, जैतपुर, धोराजी।
राजकोट ग्रामीण विधानसभा सीट के बारे में बात करें तो इस सीट पर साल 2017 में बीजेपी के लाखाभाई सागठीया ने जीत दर्ज की थी। उन्हें चुनाव में 92114 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के वशरामभाई आलाभाई सागठिया को 2179 वोटों से हराया। जनता ने कांग्रेस उम्मीदवार को 89935 वोट दिए थे। इस सीट से 9 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतरे थे। साल 1995 में कांग्रेस के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1998, 2002, 2007, 2012 और 2017 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार बीजेपी से भानुबेन बाबरिया, कांग्रेस से सुरेशभाई बथवार और आप से वशराम सगठिया के बीच महामुकाबला देखने को मिलेगा।
देवभूमि
यह धार्मिक नगरी है। यहां 2 विधानसभा सीटें हैं, खंभालिया और द्वारका। देवभूमि की खंभालिया सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा इसुदन गढ़वी खुद यहां से चुनाव लड़ने वाले हैं। बीजेपी से मुलुभाई बेरा, कांग्रेस से विक्रम माडम और आप से इसुदन गढ़वी के बीच कढ़ा मुकाबला है। 2017 में इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया था। कांग्रेस से माडम विक्रम अरजनभाई ने भारतीय जनता पार्टी के कारूभाई नारनभाई चावड़ा को 11046 वोटों के मार्जिन से हराया था।
पोरबंदर
पोरबंदर महात्मा गांधी की जन्समस्थली है। इस जिले में 2 विधानसभा सीटें हैं, पोरबंदर, कुटियाना। पोरबंदर गांधी की जन्मस्थली रही है।
पिछले दो चुनाव से पोरबंदर विधानसभा सीट पर बीजेपी जीतती आ रही है। तटीय इलाका होने के कारण यहां माछी समुदाय के लोग करीब 70 हजार हैं। जो हर चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं। इसके अलावा यहां ब्राह्मण और लोहान समुदाय की संख्या 50 हजार और 20 हजार है। दोनों वर्गों का वोट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन इस बार मच्छुआरे बीजेपी के कामों से नाखुश हैं। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बाबुभाई भीमाभाई बोखीरीया ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के अर्जुनभाई देवाभाई मोढवाडीया को 1855 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार बीजेपी से बाबुभाई भीमाभाई बोखीरीया, कांग्रेस से अर्जुन मोडवाडिया और आप से जीवन जुंगी के बीच जंग होगी।
सुरेंद्रनगर
इसमें 5 विधानसभा सीटें हैं। दसाडा (SC), लिंबड़ी, वधावन, चोटिला, ध्रंगध्रा।
सुरेंद्रनगर की ध्रंगध्रा सीट पर मुकाबला दिलचस्प है क्योंकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में काग्रेस ने इस सीट पर अपना परचम लहराया था। इन चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस के परसोतम उकाभाई सबरिया ने सोनाग्रा जेरांभाई धनजीभाई को हराकर जीत दर्ज की थी। कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले परसोतम उकाभाई सबरिया ने 2017 में विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। धांगध्रा की सीट पर 2019 में हुए उपचुनाव में परसोतम उकाभाई सबरिया ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी।
जामनगर
इसमें 5 विधानसभा सीटें हैं। कालावड अनुसूचित जाति, जामनगर शहरी, जामनगर ग्रामीण, जामनगर उत्तर, जामनगर दक्षिण, जाम जोधपुर। जामनगर उत्तर सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां टीम इंडिया के क्रिकेटर रविंद्र जडेजा के परिवार के बीच सियासी जंग देखने को मिल सकती है। एक तरफ भाजपा से उनकी पत्नी रिवाबा जडेजा उतर सकती हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस से उनकी बहन नैना मुकाबले में आ सकती हैं। रिवाबा ने 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा जॉइन की थी और उसके कुछ बाद ही उनकी बहन नैना ने भी कांग्रेस जॉइन की थी। जामनगर में जडेजा की बहन नैना की अच्छी साख है। वह जिले की महिला कांग्रेस अध्यक्ष हैं और काफी ऐक्टिव रहती हैं।
गिर सोमनाथ
गिर सोमनाथ में 4 विधानसभा सीटें हैं। सोमनाथ, तालाला, कोडीनार, ऊना। सोमनाथ विधानसभा सीट पर सबकी नजर है क्योंकि यहां 1962 से लेकर अब तक 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं लेकिन सिर्फ दो बार ही बीजेपी जीत पाई है। जशाभाई बराड चार बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीते हैं। 2017 में बराड पाला बदलकर भाजपा से लड़े और कांग्रेस के विमलभाई चुडासमा से हार गए। भाजपा यहां से 1998 और 2007 में जीती है। 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को गिर सोमनाथ की चार में से तीन सीटें मिलीं थीं। 2012 में एक सीट पर सिमटी भाजपा 2017 में खाता खोलने में नाकाम रही। लोकसभा में सोमनाथ से भाजपा के राजेश चुडासमा सांसद हैं। हालांकि प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी 20 नवंबर को सोमनाथ में दर्शन करने गए थे। साथ ही वेरासाल में रैली भी की थी। इस बार बीजेपी की तरफ से मानसिंह परमार, कांग्रेस से विपुल चुडास्मा और आप से जगमल वाला के बीच मुकाबला है।
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