गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले दो चरणों के मतदान का परिणाम 8 दिसंबर को आयेगा। इन दो चरणों में पहले चरण में मतदान 1 दिसंबर को होने के बाद अब दूसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान 5 दिसंबर को होंगे। गुजरात में सियासी हलचल तेज है। वैसे तो इस चरण में पहले चरण की अपेक्षा कुछ सीटें अधिक होने के साथ-साथ काफी खास इसलिए हैं क्योंकि इस चरण में गुजरात की राजधानी और पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गांव भी शामिल है।
बता दें कि दूसरे चरण में 14 जिलों की 93 सीटों पर चुनाव होगा। इन जिलों में बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली, गांधीनगर, अहमदाबाद, आणंद, खेड़ा, महिसागर, पंच महल, दाहोद, वडोदरा और छोटा उदयपुर शामिल हैं। यानी, दूसरे चरण में मध्य और उत्तर गुजरात की सीटों पर चुनाव संपन्न होगा।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 93 में से बीजेपी को 51 जबकि कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी। गुजरात में 2012 के चुनाव में भाजपा को 115 सीट हासिल हुईं थी। जबकि 2017 में ये 99 सीट रह गई थी। उधर कांग्रेस ने 3 दशक में रिकार्ड 77 सीटें जीत ली थी।
ये भी पढ़िये-
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम एक साथ, जानिये इस बार क्या खास होने वाला है?
गुजरात विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण के 93 सीटों में किन उम्मीदवारों के बीच हो रहा है जमकर मुकाबला, जानिये
गुजरात विधानसभा चुनाव: पहले चरण के इन सीटों पर सबकी है नजर
इन सीटों पर है सबकी नजर
वडगाम विधानसभा सीट- बनासकांठा जिले की यह सीट काफी महत्वपूर्ण है। इस सीट पर आईएनडी से जिग्नेश नटवरलाल मेवाणी ने 19696 वोटों से भाजपा के चक्रवर्ती विजयकुमार हरखाभाई को हराकर जीत दर्ज की थी। यहां पर 2012 और 2017 दोनों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इस बार कांग्रेस से जिग्नेश मेवाणी और भाजपा से मणिभाई जेठभाई वाघेला उम्मीदवार हैं। वहीं आम आदमी पार्टी से दलपत भाटिया भी उम्मीदवार हैं। एआईएमआईएम के उम्मीदवार कल्पेश सुंधिया भी यहां से चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी की वजह से मुस्लिम वोटों में बिखराव होगा?
2017 में जिग्नेश निर्दलीय उम्मीदवार थे। कांग्रेस ने जिग्नेश को अपना समर्थन देने के लिए अपने उम्मीदवार और तत्कालीन विधायक मणिभाई वाघेला को यहां से खड़ा नहीं किया, वाघेला को कांग्रसे ने ईडर सीट से चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया। इस प्रकार से जिग्नेश जीत गए। जिग्नेशऊना आंदोलन में हिस्सा लेने वाले दलित कार्यकर्ता भी रहे। इस बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये मणिभाई जेठभाई वाघेला जिग्नेश के प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैदान में हैं।
अहमदाबाद जिले में ये सीटें-
इसमें 21 विधानसभा सीटें हैं। इनमें वीरमगाम, सानंद, घाटलोदिया, वेजलपुर, वटवा, एलिसब्रिज, नारनपुरा, निकोल, नरोदा, ठक्करबापा नगर, बापूनगर, अमराईवाड़ी, दरियापुर, जमालपुर खड़िया, मणिनगर, दानिलिम्ड़ा, साबरमती प्रमुख हैं।
घाटलोदिया विधानसभा सीट: गुजरात को 2 सीएम देने वाले इस सीट से एक बार फिर भूपेंद्र पटेल चुनावी मैदान में हैं। अहमदाबाद जिले की घाटलोदिया सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट मानी जाती है। 2012 के चुनाव में आनंदीबेन पटेल यहां से चुनाव जीती थीं, तो वहीं 2017 में भूपेंद्र पटेल विजयी हो चुके हैं। ये दोनों ही गुजरात के सीएम रहे। हालांकि चुनाव के दौरान दोनों ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं थे। इस इलाके को पीटादार वोटर्स का इलाका माना जाता है और कहा जाता है कि यहां से बीजेपी किसी को भी उतारे उसकी जीत पक्की है। पाटीदार बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद अमी बेन याग्निक को टिकट दिया है।
बता दें कि 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आयी। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और सीएम का पद छोड़ने के बाद यहीं से बीजेपी से विधायक आनंदीबेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
मणिनगर विधानसभा सीट: गुजरात चुनाव में अहमदाबाद जिले की मणिनगर विधानसभा सबसे चर्चित सीट है। यह बीते 28 सालों से बीजेपी का गढ़ रहा है। खुद सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी यहां से लगातार तीन चुनाव 2002, 2007, 2012 जीते हैं। 2017 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा के पटेल सुरेशभाई धनजीभाई (सुरेश पटेल) ने यहां से 75,199 वोटों के बड़े अंतराल से जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा ने अमूलभाई भट्ट को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस से सीएम राजपूत मैदान में हैं. वहीं आम आदमी पार्टी ने विपुलभाई पटेल को चुनावी समर में उतारा है। यहां पिछड़ी जाति के 20 प्रतिशत वोटर हैं, जो हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इनके अलावा ओबीसी, दलित, मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही वणिक, पाटीदार, ब्राह्मण और सामान्य समुदायों के मतदाता हैं।
वीरमगाम विधानसभा क्षेत्र: 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले हार्दिक पटेल की किस्मत का फैसला सोमवार को ईवीएम में कैद हो जाएगा। वीरमगाम विधानसभा सीट पर पिछली बार विधानसभा चुनाव में चर्चा में रहे पाटीदार आंदोलन के युवा नेता हार्दिक पटेल पहली बार बीजेपी से चुनावी मैदान में हैं। और उनपर 10 साल बाद बीजेपी को ये सीट दिलाने की चुनौती है। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक लाखाभाई भारवाड़ पर भरोसा जताया है। आम आदमी पार्टी की ओर से मैदान में अमरसिंह ठाकोर हैं। यहां सबसे ज्यादा ठाकोर समुदाय के मतदाता हैं।
जब वोटिंग में कुछ घंटे बाकी रह गए हैं तो हार्दिक के खिलाफ पोस्टर वार सामने आया है। वीरमगाम में उनको हराने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं। ये पोस्टर किसी राजनीतिक दल के नहीं हैं, बल्कि उन समिति के हैं। जिसके तले हार्दिक ने आंदोलन करके तत्कालीन आनंदीबेन सरकार को हिला दिया था। इन पोस्टर के जरिये हार्दिक को हराने की अपील की गई है। बता दें कि हार्दिक पटेल ने इसी समिति के बैनर तले 2015 में पाटीदार आरक्षण के लिए आंदोलन किया था। जो 2017 के चुनावों में बड़ा मुद्दा था। इसके बाद हार्दिक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहां उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष गुजरात प्रदेश की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन जून, 2022 में हार्दिक पटेल बीजेपी में आ गए थे।
साबरमती विधानसभा सीटः पिछले 6 चुनावों से लगातार भाजपा इस सीट को जीतती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी अहमदाबाद के साबरमती विधानसभा क्षेत्र के वोटर हैं।
मोदी अपनी मां हीराबेन से मुलाकात करने के लिए गांधीनगर पहुंच चुके हैं। मां से मिलने के बाद रात को प्रधानमंत्री बीजेपी कार्यालय ‘कमलम’ में बीजेपी नेताओं से मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री कल यानी पांच दिसंबर को गुजरात चुनाव के दूसरे चरण में वोट भी डालेंगे। साबरमती ऐतिहासिक रूप से गांधी के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में देखा जाता है। साबरमती आश्रम से दांडी तक नमक कानून तोड़ने के लिए गांधी औऱ उनकी पत्नी कस्तूरबा ने यात्रा की थी।
इस सीट पर कांग्रेस से दिनेश महिडा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा से डॉ. हर्षदभाई पटेल और आम आदमी पार्टी से जसवंत ठाकोर उम्मीदवार हैं।
अहमदाबाद जिले की दानीलिम्डा विधानसभा सीट : गुजरात की यह दानीलिम्डा विधानसभा सीट उन सीटों में से हैं, जहां से आजतक बीजेपी का खाता नहीं खुल सका है। बीजेपी इस बार यहां से हर हाल में जीत चाहती है। दानीलिम्डा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। बीजेपी ने नरेशभाई व्यास को मैदान में उतारा है। शैलेष परमार कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। वहीं दिनेश कपाड़िया आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं। इस सीट पर साल 1975 से कांग्रेस का वर्चस्व रहा है।
आबादी के हिसाब से यहां 60 फीसदी लधुमती हैं जबकि 40 फीसदी हिंदू हैं। जोकि कांग्रेस के लिए वरदान साबित होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां अल्पसंख्यक वोटों का भारी झुकाव कांग्रेस की ओर है। इस सीट के लिए कहा जाता है कि जिन एससी नेताओं को बीजेपी ने कहीं भी टिकट नहीं दिया है वे इस सीट पर आते हैं। यानी इस सीट को लास्ट लोकल के नाम से भी जाना जाता है। पूरे राज्य में अनुसूचित जाति की 13 सीटों में से सात सीटें बीजेपी के पास हैं। जबकि छह सीटें कांग्रेस के पास हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुताबिक, यहां उत्तर गुजरात की एससी आबादी ज्यादा है।
ऊंझा विधानसभा सीटः यह सीट नरेंद्र मोदी का गृहनगर मेहसाणा जिले का वडनगर के अंतर्गत आता है। यह सीट कड़वा पाटीदार समुदाय की संरक्षक देवी मां उमिया के मंदिर उमियाधाम के लिए प्रसिद्ध है। साल 2017 में यहां से बड़ा फेरबदल हुआ। आशा पटेल कांग्रेस से विधायक बनीं। लेकिन बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं। 2019 के उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। हालांकि डेंगू से 2021 के दिसंबर में उनकी मौत से यह सीट खाली हो गई।
इस बार कांग्रेस से अरविंद पटेल, भाजपा से कीर्तिभाई पटेल और आम आदमी पार्टी से उर्विश पटेल चुनावी मैदान में हैं।
मनसा विधानसभा सीटः गुजरात के गांधीनगर जिले की यह सीट अपने आप में खास है।
27 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए यह चुनाव उसकी प्रतिष्ठा का सवाल भी है। लेकिन मनसा सीट पर भी सभी की नजरें हैं, क्योंकि यह सीट गृह मंत्री अमित शाह का है। यहां उनका पुश्तैनी मकान भी है। बीजेपी दो बार से यह सीट लगातार हार रही है।
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अमित चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी के डीडी पटेल को 8028 वोटों से हराया।
फिर 2017 में चुनाव से पहले कांग्रेसी विधायक अमित चौधरी बीजेपी में शामिल हो गए। 2017 का चुनाव अमित चौधरी ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर लड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीते अमित चौधरी इस बार बीजेपी उम्मीदवार बनकर हार गए। फिर से इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई। बीजेपी उम्मीदवार को कांग्रेस के सुरेश पटेल ने हराया। 2017 में कांग्रेस ने यह सीट 524 वोटों से जीती। यानी कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवार के बीच वोटों का अंतर काफी कम हो गया।
इस बार यहां से जयंती भाई सोमाभाई पटेल बीजेपी से, आम आदमी पार्टी से भास्करभाई बाबूभाई पटेल और कांग्रेस से बाबूसिंह जी मोहनसिंहजी ठाकोर चुनाव लड़ रहे हैं।
पंचमहाल जिले की गोधरा विधानसभा सीट:
गुजरात की बात हो और गोधरा का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। 2002 गुजरात दंगों का कारण बने गोधरा में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला की स्थिति है।
गोधरा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 79 हजार मतदाता हैं जिसमें से 72 हजार मतदाता मुस्लिम है। इसलिए यहा के नगर निकाय चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को 7 सीटें हासिल हुई थी। हालांकि गोधरा के विधायक बीजेपी के सीके राउलजी हैं। गोधरा सीट अहम और सबसे चर्चित सीटों में से एक है। दो बार से लगातार जीतती आ रही कांग्रेस से ये सीट 2017 के विधानसभा चुनाव नें बीजेपी के चंद्रसिंह कनकसिंह राउलजी ने झटक ली थी।
इस बार गोधरा विधानसभा सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ही दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी ने अपने सीटिंग एमएलए चंद्रसिंह कनकसिंह राउलजी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने रश्मिता दुष्यंत चौहान तो वहीं आम आदमी पार्टी ने राजेश पटेल राजू पर भरोसा जताया है। यहां से एआईएमआईएम चीफ ओवैसी की जनसभा के बाद इस सीट पर चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय हो रही है। एआईएमआईएम ने यहां से मुफ्ती हसर कचाबा को उतारा है।
Be the first to comment on "गुजरात चुनाव के अंतिम चरण की वो सीटें जहां सबकी है नजर, जहां बीजेपी का खाता भी न खुला"