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क्यों सरकार कृषि कानूनों का किसी सामान की तरह कर रही है मोलभाव?

कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। 20 जनवरी की बैठक में सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए रोकने का प्रस्ताव किसानों के सामने रखा था लेकिन किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। हालांकि 22 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में किसानों को बताना था कि उन्हें प्रस्ताव मंजूर है या नहीं। सरकार किसानों के आगे झुक रही है ये कहना बिल्कुल ही गलत होगा क्योंकि सरकार तो अंबानी अडानी के फायदे के लिए इन कानूनों को ला रही है ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंदोलन में आए किसान खुद कह रहे हैं। अगर आप किसी शॉपिंग वेबसाइट या फिर किसी मॉल से फल या सब्जी खरीदते हैं तो ये बात जानते होंगे जो सब्जी किसान से एक-दो रुपये के भाव में भी कोई लेने को तैयार नहीं होता वही शॉपिंग वेबसाइट्स पर दोगुना-तिगुना दामों पर मिल रही है। इस बात पर किसान काफी गुस्से में हैं।

अब ऑनलाइन बाजार में टाटा और रिलायंस ‘सुपर ऐप’ लाने की तैयारी में हैं। सुपर ऐप पर ग्रॉसरी सामान उपलब्ध होगा। किसानों का कहना है कि इन कानूनों का सीधा फायदा पूंजीपतियों को होगा। आपको बता दें कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करते हुए 57 दिन हो चुके हैं। किसान और सरकार के बीच अब तक 11 बैठकें हो चुकी हैं और सरकार किसी सामान की तरह किसान नेताओं से मोलभाव करने में लगी हुई है। हर बैठक में एक नया प्रस्ताव रखती है जबकि वो जानती है कि किसानों की मांगे इन कृषि बिलों को वापस लेना है। सरकार इन बिलों को वापस नहीं लेना चाहती। अगर सरकार बिल वापस ले लेगी तो हो सकता है अंबानी अडानी जैसे पूंजीपतियों का नुकसान हो जाए।

सरकार डेढ़ साल तक कृषि कानूनों को लागू न करने के प्रस्ताव को किसानोंं ने किया खारिज

20 जनवरी को हुई बैठक में सरकार की ओर से किसानों के सामने दो प्रस्ताव रखे गये। पहला ये कि डेढ़ साल तक कृषि कानून लागू नहीं किए जाएंगे और वो इस संबंध में एक हलफनामा कोर्ट में पेश करने को तैयार है। दूसरा ये कि एमएसपी (MSP) पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी जो राय देगी, उसके बाद एमएसपी और कानूनों पर फैसला लिया जाएगा। लेकिन किसान नेता कई बार कह चुके हैं कि जब तक कानून वापस नहीं होगें वे घर नहीं जाएंगे। यहां तक 2024 के लोकसभा चुनावों तक आंदोलन करने के लिए भी तैयार हैं। आपको बता दें कि 22 जनवरी को भी किसान नेता और सरकार के बीच बैठक होने वाली है। इस बैठक में भी बातचीत होगी।

किसान भी 26 जनवरी को निकालेंगे झाकियां

जैसा कि 26 जनवरी को किसानों की ओर से ट्रैक्टर परेड निकाली जाएंगी। इसमें सिर्फ ट्रैक्टर ही नहीं होंगे बल्कि अलग अलग तरह की झाकियां भी होंगी। योगेंद्र यादव की ओर से कहा गया है कि 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाले ट्रैक्टर मार्च में राजपथ की तरह किसानों की ट्रैक्टर परेड में झांकियां भी दिखेगीं। पूर्व सैनिकों के साथ हमने एक खाका तैयार किया है, जिसके आधार पर कुछ ट्रैक्टरों को विशेष रूप से तैयार किया जाएगा। कोशिश है कि जिस तरह राजपथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकियां निकलती हैं, उसी तरह किसानों ट्रैक्टर परेड में भी देश हर राज्य की कम से एक झांकी हो, जिसमें हम वहां के किसानों की दशा को दिखाएंगे।

हर ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा और किसान संगठनों के झंडे लगाए जाएंगे। साथ में देशभक्ति के गीत भी चलाए जाएंगे। ट्रैक्टर परेड में पूर्व सैनिक, मेडल विजेता, खिलाड़ी और महिलाओं के अलावा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को शामिल करने का भी प्रयास जारी है। साथ ही पूरी दिल्ली की जनता को खुला न्यौता दिया जाएगा कि लोग अपने घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आएं और ट्रैक्टर परेड और किसानों की झांकियों को देखें। इसके लिए उन्हें कोई वीआईपी निमंत्रण या टिकट लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। ये जानकारी योगेंद्र यादव ने अपने फेसबुक पेज से दी है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि उन्होंने ये प्रस्ताव इसलिए रखे ताकि किसान आंदोलन जल्दी से जल्दी खत्म हो जाएं। सरकार की मंशा यही है कि थोड़ा सा मोलभाव करके किसान आंदोलन खत्म कर दें। हालांकि किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कोमल कश्यप
कोमल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

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