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किसानों के आगे झुकी खट्टर सरकार लेकिन मोदी सरकार कब समझेगी?

कुछ दिनों से आप हरियाणा के करनाल की खबरों को देख रहे थे। किसानों को जीत हासिल हुई और खट्टर सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा। किसी तरह 3 दिनों से 24 घंटे चल रहे आंदोलन का खात्मा लघु सचिवालय से हो गया। जिसका जिक्र लाइव वीडियो के माध्यम से किसान नेताओं की ओर से किया गया।

हम बात कर रहे हैं। करनाल में किसानों की जीत की और खट्टर सरकार के पीछे हटने की वजह की। तो हम बात करे इसकी इसके पहले पूरा मामला जान लेते हैं।

दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त मोर्चा के बैनल तले 40 किसान नेताओं की अगवाई में टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर लगभग 10 माह से किसान आंदोलन चल रहा है। किसान केंद्र से 3 कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी को कानूनी अमलीजामा पहनाने की। किसानों के कर्ज माफी समेत किसानों की आय से जुड़े भी कई मुद्दे हैं। और अब मंहगाई जैसे मुद्दो पर भी किसान अपना विरोध लगातार जता रहे हैं। इसी क्रम में

28 अगस्त को किसानों ने करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता वाली भाजपा की प्रदेश स्तरीय बैठक का विरोध करने का एलान किया था। इसके लिए किसान एकजुट भी हो गए थे। लेकिन शहर को पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह सील कर दिया था। इसलिए किसानों का जमावड़ा नेशनल हाईवे स्थित बसताड़ा टोल पर लग गया।

28 अगस्त को बसताड़ा टोल पर किसानों ने हरियाणा की खट्टर सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया। इस दौरान किसानों पर लाठीचार्ज हुआ और कई किसान घायल हो गए। एक किसान की मौत हो गई। इस लाठीचार्ज से संबंधित एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो उसी समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इस पर एसडीएम के खिलाफ सोशल मीडिया पर कार्रवाई करने की मांग उठने लगी। एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच उस समय टकराव की स्थिति बन गई। जब किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की अगवाई में किसानों ने लाठीचार्ज के विरोध में घरौंडा की अनाज मंडी में एक महापंचायत का आयोजन किया गया।

इसमें प्रदेश के सभी किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था। इसमें तीन मांगें रखते हुए 7 दिन का समय दिया था और फिर सचिवालय पर धरना शुरू कर दिया था। किसानों नेताओं की मांग है कि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले SDM आयुष सिन्हा को बर्खास्त किया जाए। मृतक के बेटे को नौकरी और परिवार को 25 लाख रुपए के मुआवजे के साथ घायलों को दो-दो लाख रुपए की मदद दी जाए।

इस संबंध में किसानों के ऊपर लाठीचार्ज मामले में किसानों की बात न मानने पर मुजफ्फरनगर की महापंचायत में 7 सितंबर को करनाल में पंचायत करने की बात कही।

पहले खबर ये आयी थी कि पुलिस ने जो बैरीकेडिंग की थी वो हटा दी गयी है। लेकिन जब किसानों ने मिनी सचिवालय तक जाने की कोशिश की तो पुलिस ने किसानों पर वोटर कैनन चला दिया। जिसके बाद किसान आक्रोश में आ गए। पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़ हो गयी। पुलिस ने राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और गुरनाम चढूनी समेत कई किसान नेताओं को जब हिरासत में लिया तो किसानों का गुस्सा प्रशासन पर फुट पड़ा।

राकेश टिकैत को हिरासत में जरूर लिया गया था लेकिन हिरासत में लिए जाने के बाद जाने वाले वाहनों को किसानों ने चारों तरफ से घेर लिया था क्योंकि किसानों की बहुत बड़ी तादाद वहां मौजूद थी। इसलिए पुलिस को किसान नेताओं को छोड़ना पड़ा। इस बात की जानकारी खुद राकेश टिकैत ने भी दी। और इस वक़्त सभी किसान मिनी सचिवालय के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों की 15 सदस्यीय कमेटी को मिनी सचिवालय (जिला मुख्यालय) बुलवाया गया। जिसमें डीसी करनाल निशांत कुमार यादव और एसपी गंगाराम पूनिया ने किसान नेताओं से आह्वान किया कि वे मिनी सचिवालय कूच और घेराव की जिद्द छोड़ दें। इस पर किसान नेताओं ने कहा कि वे मिनी सचिवालय कूच नहीं करेंगे। बशर्ते सरकार उनकी मांगें शांतिपूर्वक सुने और उसे माने। इसी को लेकर दो घंटे तक किसान नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के बीच तीन दौर की बातचीत चली लेकिन बेनतीजा रही।

वार्ता विफल होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, डॉ. दर्शनपाल सिंह, जोगेंद्र सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल समेत अन्य किसान नेता नई अनाज मंडी में चल रही किसान महापंचायत में पहुंचे और वहां हजारों की संख्या में मौजूद किसानों के समक्ष वार्ता के विफल होने की जानकारी दी। इसके बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मंच से ही मिनी सचिवालय कूच करने और घेराव का एलान कर दिया। उधर, प्रशासन ने भी किसानों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बल की 40 कंपनियों तैनात की हुई थी। मगर किसानों ने अपना शांतिपूर्वक मार्च शुरू किया और सचिवालय की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार और प्रशासन ने उनकी बात नहीं। इसलिए किसानों ने अब मिनी सचिवालय को घेर लिया है, इस पर अब किसानों का कब्जा हो गया है। हमें कोई जल्दी नहीं है, सरकार जब चाहे तब हमसे बात कर सकती है, मगर हम अपनी मांगे मनवाएं बिना यहां से नहीं जाएंगे। रात तक किसान मिनी सचिवालय के समक्ष डटे रहे और आज भी मिनी सचिवालय के बाहर किसानों ने डेरा डाल लिया है जिस तरह का माहौन गाजीपुर बॉर्डर, सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर है उसी तरह का माहौल लंगर और टैंट मिनी सचिवालय के बाहर लगा दिये गए हैं।

अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने बताया कि आम सहमति से निर्णय हुआ है कि सरकार 28 अगस्त को हुई घटना की हाईकोर्ट के पूर्व जज से न्यायिक जांच करवाएगी। जांच एक महीने में पूरी होगी। पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा इस दौरान छुट्टी पर रहेंगे। हरियाणा सरकार मृतक किसान सतीश काजल के दो परिजनों को करनाल में डीसी रेट पर सेंक्शन पोस्ट पर नौकरी देगी। इसके बाद किसान नेता गुरनाम सिंह ने करनाल में लाठीचार्ज के मामले पर चल रहे आंदोलन को खत्म करने का एलान कर दिया है।

किसानों के लिए जीत का विषय है क्यों कि खट्टर सरकार पहले पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी और बाद में जब किसानों का आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर तेज हुआ तो पीछे हटृना पड़ा। पुलिस फोर्स के साथ कई कंपनियों की लंबे समय तक तैनाती लघु सचिवालय पर सरकार के लिए भी जहमत उठाने जैसा था।

अब करनाल के मसले पर जो अपडेट होगा उसे आप यहां देखेंगे ही मगर फोरम4 उत्तर प्रदेश में चुनाव ती खबरों को जिस बेबाकी से जिस अंदाज में दिखा रहा था उसे लगातार देखते रहेंगे। अब तक हमने कानपुर, बनारस, औरेया, मथुरा, बागपत, मुजफरनजर समेत कई जगहों पर लोगों के बीच इस संबंध में बातचीत की और जानने की कोशिश की कि इस बार उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार होगी। क्या मुद्दे हैं और क्या होने चाहिए। इसी तरह से आगे भी खबर आप देखते रहेंगे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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