करनाल के मिनी सचिवालय पर किसान कल से घेरा डाले हुए हैं। लगातार किसानों की संख्या मिनी सचिवालय पर बढ़ती जा रही है। दरअसल किसान नेताओं ने ये ऐलान किया था कि 7 सितंबर को करनाल की अनाज मंडी में महापंचायत होगी। इससे पहले 5 सिंतबर को भी मुज़फ्फरनगर में बहुत बड़ी महापंचायत हुई थी। किसान नेताओं ने 20 लाख किसानों के पहुंचने का दावा किया था जिसके बाद मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत में जनसैलाब उमड़ा था और करनाल में भी यही हुआ। लाखों की संख्या में किसान करनाल महापंचायत में पंहुचे।
आपको बता दें कि 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर मनोहर लाल खट्टर के कार्यक्रम का विरोध करने की वजह से पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस लाठीचार्ज की अगवाई करने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा का वीडियो वायरल हो रहा है कि सिर फोड़ दो, और इसी के बाद की हुई घटना में 1 किसान शहीद हो गया इसके बाद किसानों का गुस्सा लगातार राज्य सरकार और प्रशासन पर देखा जा रहा है। किसान मांग कर रहे हैं कि मृतक किसान सुशील काजल के आश्रितों को 25 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी व घायल किसानों को 2-2 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की। इसके अलावा लाठीचार्ज का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्जकर बर्खास्त करने और लाठीचार्ज में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की।
पहले खबर ये आयी थी कि पुलिस ने जो बैरीगेटिंग की थी वो हटा दी गयी है। लेकिन जब किसानों ने मिनी सचिवालय तक जाने की कोशिश की तो पुलिस ने किसानों पर वोटर कैनन चला दिया। जिसके बाद किसान आक्रोश में आ गए। पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़ हो गयी। पुलिस ने राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और गुरनाम चढूनी समेत कई किसान नेताओं को जब हिरासत में लिया तो किसानों का गुस्सा प्रशासन पर फुट पड़ा।
राकेश टिकैत को हिरासत में जरूर लिया गया था लेकिन हिरासत में लिए जाने के बाद जाने वाले वाहनों को किसानों ने चारों तरफ से घेर लिया था क्योंकि किसानों की बहुत बड़ी तादाद वहां मौजूद थी। इसलिए पुलिस को किसान नेताओं को छोड़ना पड़ा। इस बात की जानकारी खुद राकेश टिकैत ने भी दी। और इस वक़्त सभी किसान मिनी सचिवालय के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों की 15 सदस्यीय कमेटी को मिनी सचिवालय (जिला मुख्यालय) बुलवाया गया। जिसमें डीसी करनाल निशांत कुमार यादव और एसपी गंगाराम पूनिया ने किसान नेताओं से आह्वान किया कि वे मिनी सचिवालय कूच और घेराव की जिद्द छोड़ दें। इस पर किसान नेताओं ने कहा कि वे मिनी सचिवालय कूच नहीं करेंगे। बशर्ते सरकार उनकी मांगें शांतिपूर्वक सुने और उसे माने। इसी को लेकर दो घंटे तक किसान नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के बीच तीन दौर की बातचीत चली लेकिन बेनतीजा रही।
वार्ता विफल होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, डॉ. दर्शनपाल सिंह, जोगेंद्र सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल समेत अन्य किसान नेता नई अनाज मंडी में चल रही किसान महापंचायत में पहुंचे और वहां हजारों की संख्या में मौजूद किसानों के समक्ष वार्ता के विफल होने की जानकारी दी। इसके बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मंच से ही मिनी सचिवालय कूच करने और घेराव का एलान कर दिया। उधर, प्रशासन ने भी किसानों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बल की 40 कंपनियों तैनात की हुई थी। मगर किसानों ने अपना शांतिपूर्वक मार्च शुरू किया और सचिवालय की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।
किसानों को रोकने के लिए पुलिस की और से वोटर केनन का इस्तेमाल किया गया। लेकिन फिर भी किसान मिनी सचिवालय तक पहुँच गए और धरने पर बैठ गए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार और प्रशासन ने उनकी बात नहीं। इसलिए किसानों ने अब मिनी सचिवालय को घेर लिया है, इस पर अब किसानों का कब्जा हो गया है। हमें कोई जल्दी नहीं है, सरकार जब चाहे तब हमसे बात कर सकती है, मगर हम अपनी मांगे मनवाएं बिना यहां से नहीं जाएंगे। रात तक किसान मिनी सचिवालय के समक्ष डटे रहे और आज भी मिनी सचिवालय के बाहर किसानों ने डेरा डाल लिया है जिस तरह का माहौन गाजीपुर बॉर्डर, सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर है उसी तरह का माहौल लंगर और टैंट मिनी सचिवालय के बाहर गाढ़ लिए गए हैं।
Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।
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