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इस दीवाली पटाखों पर बैन के बाद दुकानदारों का क्या होगा?

7 नवंबर से 30 नवंबर तक किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री, फोड़ने या जलाने पर प्रतिबंध रहेगा। कहां-कहां, कैसे और क्यों यह प्रतिबंध रहेगा इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

महामारी यानी कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसने इस साल के त्योहारों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सुनसान, बिना जोश के, बिना चहलकदमी और रौनक के त्योहार मनाए जा रहे हैं। दशहरा के बाद दीवाली भी इस बार फीकी ही रहने वाली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में कोराना संक्रमण के अब तक 84 लाख से अधिक मामले आ चुके हैं। इनमें से 1 लाख 25 हजार से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। अमेरिका से भी अधिक तेजी से यह संक्रमण देखने को मिल सकता है। अभी तक अमेरिका में 97 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं।

हां तो इसलिए कि महामारी तेजी से न फैले और वायु प्रदूषण का स्तर कम रहे राजधानी सहित तमाम राज्यों में इस बार नवंबर भर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लग गया है। साथ ही पटाखे छोड़े भी नहीं जा सकेंगे।

वायु प्रदूषण और महामारी के मद्देनजर देश के कई राज्यों ने दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य-प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख राज्य हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 5 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों से पटाखे न जलाने की अपील की थी। उन्होंने कहा, ‘जिस तरह हमने पिछले वर्ष दीपावली पर पटाखे नहीं जलाने का संकल्प लिया था और दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में जुटकर दीपावली की खुशियां बांटी थीं। उसी तरह इस वर्ष भी हम साथ मिलकर दिवाली मनाएंगे लेकिन पटाखे नहीं जलाएंगे।’

इतना ही नहीं दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के मद्देनजर सरकार ने ग्रीन पटाखे चलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध 30 नवंबर तक लागू रहेगा। दिल्ली सरकार के मंत्री के अनुसार यदि कोई आदेश का उल्ल्ंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसपर एक लाख रुपये तक फाइन लगाया जाएगा।

लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों ने फिलहाल पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। दूसरी ओर पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि फिलहाल उनके पास कोई ऐसी स्टडी नहीं है जिससे साफ हो सके कि पटाखों के इस्तेमाल के बाद कोरोना केस और बढ़ेंगे। इसका मतलब साफ है कि केंद्र सरकार और यूपी सहित तमाम राज्य पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित करने और फोड़ने को लेकर अभी तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।

हरियाणा सरकार ने एनजीटी में दाखिल किए गए अपने जवाब में कहा है कि वह अपने राज्य में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के मद्देनजर अगर एनजीटी को ऐसा लगता है कि दिल्ली एनसीआर में आने वाले शहरों मसलन फरीदाबाद और गुरुग्राम में पटाखे चलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ सकता है तो वहां प्रतिबंध लगाया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार को लगता है कि पूरे हरियाणा में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले पर एनजीटी से कहा है कि प्रदूषण और पटाखों के इस्तेमाल से जुडे मामले पहले ही सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है। इसी महीने नवंबर में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला करने में सक्षम है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एनजीटी को यह भी बताया है कि इस साल उन्होंने पटाखे बेचने के लिए दुकानदारों को दिए जाने वाले लाइसेंस जारी नहीं किए हैं। लेकिन पटाखों को चलाने से रोकने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में अपना रुख साफ नहीं किया है।

माना जा रहा है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और उस पर लगाम लगाने को लेकर दिल्ली सरकार के प्रयास तब तक नाकाफी हैं जब तक कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य की भूमिका भी सकारात्मक न हो। अक्तूबर -नवंबर के महीने में हर बार ही दिल्ली की आबोहवा काफी खराब देखने को मिलती है। इस बार भी ऐसा न हो इसलिए यह कदम उठाये जा रहे हैं मगर दिल्ली-एनसीआर के तहत आने वाले उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध अगर नहीं लगाया जाता है तो दिल्ली में ग्रीन पटाखे भी बैन होने के बावजूद राजधानी में प्रदूषण बढ़ेगा। नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम जैसे शहरों में बढ़ता प्रदूषण दिल्ली की आबो-हवा को हर हाल में प्रभावित करता है।

हालांकि  9 नवंबर को एनजीटी का फैसला यह साफ करेगा कि अन्य राज्यों में पटाखों पर रोक लगेगी या नहीं।

महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अचानक से दिल्ली सहित तमाम राज्यों में पटाखा बैन को लेकर हुए आदेश के बाद दुकानदारों का क्या होगा? जो दुकानदार पहले से ही पटाखा बिक्री के लिए सामान लाकर जमा कर लिए उन पटाखों का क्या होगा? दुकानदार प्रदर्शन करने की तैयारी में भी हैं? सरकार को दुकानदारों को हुए घाटे के बारे में सोचना होगा क्योंकि ऐसे दुकानदारों या कारोबारियों को डबल मार पड़ रही है एक तो कोरोना और लॉकडाउन से आया संकट और अब पटाखों की बिक्री को लेकर जारी सरकारी आदेश से।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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