अमृता: इमरोज का वो कैनवास, जिससे सबने केवल इश्क चुराया
प्रिय अमृता, माफ करना, बिना पूछे या जाने ही तुम्हें प्रिय लिख रहा हूं। लेकिन क्या करूं, तुम्हारे बारे में पढ़-पढ़ कर बस इतना ही समझ पाया कि तुम प्रेम की किसी मूरत जैसी ही…
प्रिय अमृता, माफ करना, बिना पूछे या जाने ही तुम्हें प्रिय लिख रहा हूं। लेकिन क्या करूं, तुम्हारे बारे में पढ़-पढ़ कर बस इतना ही समझ पाया कि तुम प्रेम की किसी मूरत जैसी ही…
तुम मिले तो कई जन्म मेरी नब्ज़ में धड़के तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया तब मस्तक में कई काल पलट गए- एक गुफा हुआ करती थी जहाँ मैं थी और एक…