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वाल्मीकि

जीवन में जूझते हुए ईश्वर के पद तक पहुंचते हैं वाल्मीकि के राम

तमसा नदी के तट पर पीपल के वृक्ष के नीचे एक ऋषि विचारमग्न थे। सुबह की वेला में नदी की लहरें शांत थीं। मंद हवा बह रही थी, जिनमें पत्तियां-डालियां हिल-मिल रही थीं। पंछी घोसलों…