गांव मेरा मुझे याद आता रहा (छात्र की डायरी)
उन दिनों सुबह कितनी जल्दी हो जाया करती थीं। शाम भी कुछ जल्दी घिर आया करती थीं तब फूलों की महक भीनी हुआ करती थीं और तितलियां रंगीन। इन्द्रधनुष के रंग थोड़े चमकीले, थोड़े गीले…
उन दिनों सुबह कितनी जल्दी हो जाया करती थीं। शाम भी कुछ जल्दी घिर आया करती थीं तब फूलों की महक भीनी हुआ करती थीं और तितलियां रंगीन। इन्द्रधनुष के रंग थोड़े चमकीले, थोड़े गीले…