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अंकिता सिंह

मैं अधूरे प्यार से पूरी हुई हूँ

मैं रही राधा..रही मीरा, रही सीता रुक्मणी भी, उर्मिला भी मैं, अहिल्या भी रही हूँ युग रहा कोई, कहानी जो रही हो मैं अधूरे प्यार से पूरी हुई हूँ!   मैं उपेक्षित उर्मिला सी हूँ…


लेखनी चलती रहेगी, लेखनी चलती रहेगी!

गद्य निकले हैं कई, निकले न जाने पद्य कितने नोक से हैं शब्द निकले व्योम में नक्षत्र जितने ऊर्जा उपजी विचारों से उतर इसमें समाई तब अंधेरों में क़लम बिखरा सकी उज्जवल रुनाई मृदुल मन…