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खरीद-फरोख्त

कविताः मुहब्बत का बाजार

-प्रिया सिन्हा मुहब्बत के बाजार में हर कोई, अपना दिल बिछाये बैठे हैं; किसी का दिल जल्द बिक जाता, तो कोई वर्षों लगाये बैठे हैं   कोई तय करने में इसकी कीमत, अपना कीमती वक्त…