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कार्य की मात्रा पर नहीं, गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए- प्रो. वीएस चौहान

मैत्रेयी महाविद्यालय में नैक बेंगलुरू के वित्तीय सहयोग से 5 नवंबर 2019  से प्रारंभ हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन हो गया। सम्मेलन का विषय “Assessment and Accreditation of Best Practices in Higher Education Under NAAC Framework” था। इसके उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए नैक के चेयरमैन प्रो. वीएस चौहान ने शिक्षक समाज से गुणवत्तापरक कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने नवीन राष्ट्रीय शिक्षानीति सहित यूजीसी, नैक इत्यादि सरकारी संस्थाओं से सम्बंधित अपने उद्गार अभिव्यक्त किए। उन्होंने यह भी कहा कि गुणवत्तापूर्ण कार्य कठिन परिश्रम, नवीन विचार और धैर्य पर अवलंबित है। गौरतलब है कि राष्ट्रगानोपरांत संस्कृत मंगलाचरण के साथ दीपप्रज्वलन से प्रारम्भ हुए इस कार्यक्रम के आरम्भ में मैत्रेयी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के चेयरपर्सन प्रोफेसर बालागणपथी देवरकोंडा ने सभी विद्वज्जनों का स्वागत करते हुए कहा कि किसी भी संस्थान के लिए छात्र और शिक्षक दोनों का समान रूप से महत्व होता है और दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।

मैत्रेयी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा ने अपने वक्तव्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रारूप को बताते हुए मैत्रेयी कॉलेज के स्टार स्टेटस का ज़िक्र किया। विशिष्ट अतिथि पीडीएम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एके बख्शी का व्याख्यान आईसीटी पर आधारित रहा, जिसमें उन्होंने ई-लर्निंग और मूक आधारित पाठ्यक्रमों की विशेषता बताते हुए शिक्षा में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया। प्रोफेसर कुमार सुरेश और प्रोफेसर के. रामचन्द्रन ने नई शिक्षानीति पर गहन चर्चा की। प्रोफेसर कुमार ने उच्च शिक्षण संस्थान में छात्रों एवं शिक्षकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर विशद विचार किया। दूसरे सत्र में डॉक्टर सुमन गोविल ने कॉलेज में किस तरह शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाए, इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में आमंत्रित विद्वज्जनों में डॉ.संजय सिंह बघेल (एसोसिएट प्रोफेसर, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) तथा डॉ. कनिष्क पाण्डेय (स्पोर्ट्स सेण्टर, आईआईएमटी, गाज़ियाबाद) रहे। डॉ.संजय सिंह बघेल ने अपना  वक्तव्य देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में विद्यार्थियों की भी नैतिक जिम्मेदारी तय की गई है। उन्होंने मनसा, वाचा, कर्मणा सेवा पर विशेष बल दिया है, साथ ही शिक्षा और दीक्षा में अंतर बताते हुए कहा कि दीक्षा में अनुभव और ज्ञान का सामंजस्य होता है। डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने कहा कि हम सभी के जीवन में खेलों का विशेष महत्व होना चाहिए। भारत में खेल शिक्षा की जागरूकता केवल 5.5 प्रतिशत है। खेल-कूद की शिक्षा जहां एक ओर विद्यार्थियों को आत्म-निर्णय लेने में सशक्त बनाती है, वहीं दूसरी ओर उन्हें निराशा और हताशा से भी दूर रखती है।

संगोष्ठी में छात्राओं के द्वारा समर इंटर्नशिप में प्रस्तुत महाविद्यालय स्तरीय शोधपरियोजना कार्य एवं शोधपत्रात्मक पोस्टर की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसका मैत्रेयी कॉलेज के चेयरपर्सन एवं प्राचार्या सहित विद्वन्मण्डल ने विधिवत् अवलोकनोपरांत मूल्यांकन भी किया। संगोष्ठी के दूसरे दिन के समापन सत्र में गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष प्रोफेसर बालागणपथी ने शिक्षा में ज्ञान और मूल्यों के विशेष महत्व को रेखांकित किया।

बता दें कि संगोष्ठी का संयोजन आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. रमा सिसोदिया ने किया था जिसमें आईक्यूएसी के अन्य सदस्यों डॉ. रेनू, डॉ. ऋतु, डॉ. प्रमोद, डॉ. राखी, डॉ. शालिनी, डॉ. मनीषा, डॉ. लता, डॉ. कमल, डॉ. प्रियंका एवं पवन ने अलग-अलग उत्तरदायित्वों का निर्वहण करते हुए सहयोगी की भूमिका निभायी। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमण पत्र प्रदान किया गया और इसी के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल समापन हो गया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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