कविताः जाओ तुम फिर लौट आना
-सरिता अधूरी ख्वाइशें को पूरा करने कुछ अधूरे सपनों को पूरा करने जाओ तुम फिर लौट आना… उन अनजान पलों में तुम अपने बनकर मदमस्त हवाओं में खुशबू बनकर चलती सांसो की वजह बनकर जाओ…
-सरिता अधूरी ख्वाइशें को पूरा करने कुछ अधूरे सपनों को पूरा करने जाओ तुम फिर लौट आना… उन अनजान पलों में तुम अपने बनकर मदमस्त हवाओं में खुशबू बनकर चलती सांसो की वजह बनकर जाओ…