हर युग में चीर हुआ औरत का
हर युग में चीर हुआ औरत का, कपड़ों की कमी न गाओ। हैवान दरिंदों को तुम सब मिलकर ऐसे न बढ़ाओ। अपने-अपने बेटों को भी, संस्कार शब्द सिखलाओ। कब तक बेटी दोषी होगी, बेटों…
हर युग में चीर हुआ औरत का, कपड़ों की कमी न गाओ। हैवान दरिंदों को तुम सब मिलकर ऐसे न बढ़ाओ। अपने-अपने बेटों को भी, संस्कार शब्द सिखलाओ। कब तक बेटी दोषी होगी, बेटों…