…इश्क़ की किताबों में (कविता)
किसी सफ़े पे थी खिलखिलाती याद उसकी किसी सफ़े पे था उसकी मुस्कराहटों का पहरा इश्क़ की किताबों में करवटें बदलती रूहों का जागना उंगलियों के पोरों की छुँअन से फिर कहना उनका हौले-हौले से…
किसी सफ़े पे थी खिलखिलाती याद उसकी किसी सफ़े पे था उसकी मुस्कराहटों का पहरा इश्क़ की किताबों में करवटें बदलती रूहों का जागना उंगलियों के पोरों की छुँअन से फिर कहना उनका हौले-हौले से…
-संजय भास्कर फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखने से पहले शहर के लोगों के विचार जान लेने जरूरी हैं, जो हर रोज या अक्सर…