लेखनी चलती रहेगी, लेखनी चलती रहेगी!
गद्य निकले हैं कई, निकले न जाने पद्य कितने नोक से हैं शब्द निकले व्योम में नक्षत्र जितने ऊर्जा उपजी विचारों से उतर इसमें समाई तब अंधेरों में क़लम बिखरा सकी उज्जवल रुनाई मृदुल मन…
गद्य निकले हैं कई, निकले न जाने पद्य कितने नोक से हैं शब्द निकले व्योम में नक्षत्र जितने ऊर्जा उपजी विचारों से उतर इसमें समाई तब अंधेरों में क़लम बिखरा सकी उज्जवल रुनाई मृदुल मन…