गलतियां जान कर, पर बन कर अनजाने करो
रिश्ता तोड़ना है तो कुछ बहाने करो गलतियां जान कर पर बन कर अनजाने करो बेमतलब की, बेवजहों की कुछ अफ़साने करो रोज कहो मिलेंगे-मिलेंगे पर थोड़ा कम आने-जाने करो मत…
रिश्ता तोड़ना है तो कुछ बहाने करो गलतियां जान कर पर बन कर अनजाने करो बेमतलब की, बेवजहों की कुछ अफ़साने करो रोज कहो मिलेंगे-मिलेंगे पर थोड़ा कम आने-जाने करो मत…
– संजय भास्कर कुछ रिश्ते अनाम होते हैं पर वो रिश्ते दिल के करीब होते हैं अनाम होने पर भी रिश्ते कायम रहते हैं पर, जब भी उन्हें नाम देने की कोशिश की जाती है…
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? अगर साहित्य में आप रुचि ऱखते होंगे तो आपने कबीर की ये पंक्तियां जरूर पढ़ी…