मुझे पता है बिखराव के ये मौसम फिर से आयेंगे
हालात, वक़्त, यादों का ढेर, दुःख, उदासी से पुते हुए पन्ने और वो। इक शाम आई और चली गई रात से डरकर। “मैं कौन हूँ” सोचते हुए अरसा बीत गया और जब जवाब आने को…
हालात, वक़्त, यादों का ढेर, दुःख, उदासी से पुते हुए पन्ने और वो। इक शाम आई और चली गई रात से डरकर। “मैं कौन हूँ” सोचते हुए अरसा बीत गया और जब जवाब आने को…