वायु! क्या दोष मेरा है
एक धुंधली सी तस्वीर थी मेरी आंखों के सामने सारा जहां देख लिया मैंने अब निराश होकर आई हूं मैं सर्दी में शीतलहर गर्मी में लू कहलाती हूं मैं ऐ मनुष्य! क्या सच तुम्हें बताती…
एक धुंधली सी तस्वीर थी मेरी आंखों के सामने सारा जहां देख लिया मैंने अब निराश होकर आई हूं मैं सर्दी में शीतलहर गर्मी में लू कहलाती हूं मैं ऐ मनुष्य! क्या सच तुम्हें बताती…
विकास उद्योग-धंधे तो लगातार बढ़ ही रहे हैं। साथ ही अन्य कारकों की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से दिल्ली जैसे कई शहरों में तो स्मॉग का कहर भी हर…