जीवन में जूझते हुए ईश्वर के पद तक पहुंचते हैं वाल्मीकि के राम
तमसा नदी के तट पर पीपल के वृक्ष के नीचे एक ऋषि विचारमग्न थे। सुबह की वेला में नदी की लहरें शांत थीं। मंद हवा बह रही थी, जिनमें पत्तियां-डालियां हिल-मिल रही थीं। पंछी घोसलों…
तमसा नदी के तट पर पीपल के वृक्ष के नीचे एक ऋषि विचारमग्न थे। सुबह की वेला में नदी की लहरें शांत थीं। मंद हवा बह रही थी, जिनमें पत्तियां-डालियां हिल-मिल रही थीं। पंछी घोसलों…
-राधिका रमण रानी क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन में काँटे चुभाए क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन-मन को छलनी कर आत्मा को मार दे क्या यही है ईश्वर…