जब-जब मैं लिखती हूँ कविताएं

जब-जब मैं लिखती हूँ कविताएं मैं…मैं हो जाती हूँ। मुझमें बाकी नहीं रहती वो सुबह की अधखुली नींद और…जबरदस्ती का सँवरना फॉर्मल दिखने के नाम पर अपने ही आप को छुपा देने की कवायदें घड़ी … Continue reading जब-जब मैं लिखती हूँ कविताएं