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Articles by राजीव कुमार झा

प्रवासी साहित्य को लेकर विशेष बातचीत में भावना सक्सैना से जानिये, सूरीनाम में हिंदी की स्थिति कैसी है?

आज हम साहित्य जगत से भावना सक्सैना से रूबरू करा रहे हैं। भावना सक्सैना ने सूरीनाम के हिंदुस्तानी समाज के बारे में लेखन किया है और सूरीनाम के भारतवंशी हिंदी लेखकों के साहित्य का आलोचनात्मक…


हिंदी लेखन को नारीवाद ने कितना प्रभावित किया है, बिहार की कवयित्री डॉ. मीरा से जानिए!

बिहार के आरा की निवासी मीरा श्रीवास्तव की पहचान हिंदी लेखन में मूलत कवयित्री के रूप में है, लेकिन इन्होंने आलोचनात्मक लेखन भी किया है।  प्रस्तुत है इनसे राजीव कुमार झा की बातचीत, लेकिन उससे…


श्रीकृष्ण की भक्ति से सन्यासी, संत और महाकवि बन गये सूरदास

हिंदी साहित्य में आज हम तमाम प्राचीन काल के महाकवियों व संतों को पढ़ते आये हैं। सगुण भक्ति शाखा में कृष्ण भक्त संत सूरदास का जन्म वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया…


परशुराम की वजह से कर्ण का वध हुआ, जानिये क्यों?

वर्तमान संदर्भों में परशुराम की कथा शासन और नीति के सामंजस्य की ओर ही संकेत करती है और धर्म के रूप में स्वेच्छाचारिता की जगह पर  नियम-विधान की स्वीकार्यता पर प्रकाश डालती है। परशुराम जयंती…