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बारिश से सड़कें हुईं पानी-पानी, फिर भी किसान आंदोलन बदस्तूर जारी!

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन का 41वां दिन है। अब तक सरकार और किसान नेताओं के बीच 8 बैठकें हो चुकी हैं और सभी वार्ताएं बेनतीज़ा निकली। किसानों की ओर से जो 4 मांगे रखी गई थी उनमें से सरकार की ओर से केवल दो ही मांगों पर आश्वासन मिला है जोकि किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। पराली जलाने पर कोई जुर्माना न हो औऱ बिजली अधिनियम में कोई संशोधन न किया जाए, सरकार इसके लिए तैयार है लेकिन किसानों की जो मुख्य मांग है वो एमएसपी और तीनों कृषि कानूनों की वापसी का है, जिस पर सरकार झुकने को तैयार नहीं है। वहीं किसान भी अब झुकने को तैयार नहीं हैं। अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं जिसपर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सरकार को कटघरे में लगातार खड़ा करते देखे जा सकते हैं। इसी बीच कड़कड़ाती हुई सर्दी में जहां पारा 1 डिग्री के आसपास है और दिल्ली में लगातार 3 दिन से बारिश हो रही है, इससे किसानों का हौंसला टूटने की बजाय बढ़ता देखा जा रहा है।

गाजिपुर बॉर्डर की एक तस्वीर

कई किमी के दायरे में फैला किसान आंदोलन की तस्वीर एक तरफ मार्मिक भी है तो दूसरी तरफ बेहद हौंसला आफजाई का भी। गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर जो सड़कों पर खुुले आसमान में टेंट लगाये गए थे उनकी जगह अब बरसाती टेंट लगाये जा रहे हैं ताकि किसान उसमें इस बारिश को भी सहन कर पायें। सड़क पर टेंट जो लगे हुए थे उसमें बारिश के कारण उन टेंटों में पानी घुस गया। वो सभी टेंट गीले हो गये। अब किसानों ने टेंट पर बरसाती पॉलीथिन लगा लिया है औऱ कई टेंट तो वॉटरप्रूफ भी मंगा लिये गए हैं। इससे साफ है कि किसानों की मंशा घर लौटने की तो बिल्कुल नहीं है। सर्दी हो, बारिश हो फिर चाहे तूफान ही क्यों न आ जाए, पर किसान पीछे नहीं हटेंगे।

अभी गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर की बात करें तो जितनी दूर तक आपकी नजरें जाएंगी वहां तक आपको ट्रैक्टर और ट्रोलियों के साथ लंबी लंबी कतारे दिखेंगी। जिन जिन चीजों की किसानों को जरूरत है उन सभी का इंतजाम वहां किया जा रहा है। जैसे कि अभी बारिश हो रही है और ठंड भी काफी है तो रैनकॉट का इंतजाम किया गया। बारिश तेज है तो मोटी पॉलोथीन से टेंट बनाए जा रहे हैं। गर्म पानी के लिए भी ऐसी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। शहर लोग पहले बार इन देसी जुगाड़ों से रूबरू हो रहे हैं। दूसरा ये कि अधिकतर लोग अपने ट्रकों और ट्रैक्टरों में एकदम घर जैसा इंतजाम करके लेकर आए हैं। आपको देखकर हैरानी होगी कि उन ट्रैक्टरों में टीवी से लेकर जूते रखने के लिए स्टैंड तक लगा हुआ है। जब इस आंदोलन की शुरूआत हुई थी यानी जब पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली की तरफ कूच किया था तो तब किसानों का तरफ से सिर्फ इतना कहा गया था कि वे किसान 6 महीने तक का राशन लेकर आए हैं वो तब तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठें रहेंगे तब तक कि सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले लेती, लेकिन आंदोलन इतना लंबे समय तक चलेगा इसका अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था और उम्मीद तो ये भी नहीं थी कि सरकार किसानों से बातचीत करके इसका हल निकालेगी। हालांकि सरकार का रुख साफ है कि वो ये कानून वापस नहीं लेगी।

किसानों की एक खास बात ये है कि वो जमीन से जुड़े है, मिट्टी उनकी मोहब्बत होती है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो सड़क पर सो रहे हैं। अगर में गाजीपुर बॉर्डर की बात करूं तो वहां पर ब्लॉक बनाएं गए हैं और ये सुविधा उन लोगों के लिए है जो जिनके पास वहां रहने का अपना कोई इंतजाम नहीं है। महिलाओं के लिए अलग टेंट और बैड का इंतजाम है। ब्लॉक जो बनाए गए हैं वो भी टेंट ही है पर उनमें जितने लोगों के रहने की सुविधा की गई है जैसे कि उस ब्लॉक में 20 लोगों के रहने का इंतजाम है उसके बाहर लिखा आपको मिल जाएगा।

अंबानी-अडानी को नहीं देंगे अनाज

गाजीपुर बॉर्डर पर हमने कई किसानों से बात कि जिनमें से एक का कहना है कि एक तरफ तो बीजेपी के लोग किसानों को नकली किसान बताते हैं दूसरी तरफ हमें वार्ता में बुलाया जाता है। जब हम नकली किसान है तो हमें वार्ता में क्यों बुलाया जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि ये सरकार बहुत ही अंहकारी है। हमने खुद बीजेपी को वोट था कि कहीं विकास करेंगें। वो आगे कहते है कि अगर ये कानून लाने है तो ले आओ, तोप गोले ले आओ और उड़ा दो हमें, सभी किसान खत्म हो जाएंगें पर किसान अपना अनाज अंबानी-अडानी को नहीं देंगे।

किसानों के आगे झुकने लगी है सरकार, पराली जलाने पर अब नहीं होगा जुर्माना!

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछली बैठक में किसान संगठनों से अनुरोध किया था कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्य विकल्प दें, जिस पर सरकार विचार करेगी। सरकार अभी भी कानूनों को वापस लेने की बात को टालने का काम कर रही है। पर किसानों ने ये बात साफ कर दी है कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी पर इन बैठकों से ये साफ लग रहा है कि सरकार ये कानून वापस नहीं लेगी। अगर सरकार कानून वापस नहीं लेती है तब 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च दिल्ली में निकालेंगे।

 

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Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कोमल कश्यप
कोमल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

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