विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पिछले दिनों विश्वविद्यालय/कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र भेजकर ओबीसी कोटे के एक्सपेंशन के सेकेंड ट्रांच (दूसरी क़िस्त) की बकाया शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने के आदेश दिए थे, लेकिन कॉलेजों ने इन पदों पर स्थायी या एडहॉक टीचर्स ना लगाकर उन पदों पर गेस्ट फैकल्टी लगाना शुरू कर दिया था। कॉलेज गेस्ट टीचर्स में किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया जा रहा था जिसको लेकर “दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम” “फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ” ने एससी, एसटी आयोग राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और संसदीय समिति में शिकायत दर्ज की थी।
फोरम के चेयरमैन प्रो. केपी सिंह यादव व पूर्व एकेडेमिक काउंसिल के मेंबर प्रो. हंसराज ‘सुमन’ के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्या डॉ. सुधा यादव व सदस्य पटेल से मिले थे। प्रो. सुमन ने उन्हें बताया था कि अम्बेडकर कॉलेज, सत्यवती कॉलेज दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद आदि कॉलेजों द्वारा अपने यहां एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया जा रहा है। साथ ही गेस्ट फैकल्टी में कॉलेज किसी तरह का आरक्षण नहीं दे रहा था। आयोग ने तुरंत संज्ञान लेते हुए अम्बेडकर कॉलेज को सम्मन जारी किए थे। उसके बाद अम्बेडकर कॉलेज ने गेस्ट पदों पर एडहॉक टीचर्स लगाये।
प्रो.सिंह व प्रो. सुमन ने बताया है कि इसके बाद आयोग की सदस्य ने डीयू वाइस चांसलर को भी अपने यहां बुलाया था जिसमें कुलपति ने आश्वासन दिया था कि एससी, एसटी, ओबीसी के पदों पर एडहॉक या स्थायी नियुक्ति करने का आश्वासन दिया था लेकिन पिछले दिनों सत्यवती कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने यहाँ अतिथि असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए सभी विभागों में पद विज्ञापित किए थे। जिसमें भारत सरकार के आरक्षण नियमों की पूरी तरह से अवहेलना की गई थी। यहाँ तक की कालेज प्रशासन ने इस विज्ञापन के आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी।
प्रो. सुमन ने बताया है कि यूजीसी द्वारा दिए गए दूसरी क़िस्त के इन पदों पर एडहॉक ना लगाकर गेस्ट फैकल्टी में तब्दील करने को लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों और शिक्षकों में काफी रोष है। फोरम व पिछड़ा वर्ग से आने वाले आवेदकों ने भारत सरकार के राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को इसकी शिकायत की, जिसको संज्ञान में लेते हुए आयोग ने इसकी जाँच की और शिकायतों को सही पाया। तत्पश्चात पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, सत्यवती कॉलेज के मामले में तुरंत हस्तक्षेप करते हुए 23 अक्टूबर को एक सख्त पत्र लिखकर सूचित किया कि कॉलेज संविधान प्रदत्त आरक्षण के प्रावधानों की अवहेलना नहीं कर सकता, उसे गेस्ट फैकल्टी में भी आरक्षण देना होगा।
प्रो. सुमन व प्रो. यादव ने बताया है कि आयोग ने निर्देश जारी कर कहा है कि कॉलेज प्राचार्य गेस्ट फैकल्टी में की जा रही नियुक्ति की प्रक्रिया को तुरंत रोकें और पिछड़ा वर्ग के लिए सुनिश्चित आरक्षण को निर्धारित करते हुए फिर से विज्ञापन निकाले। यदि कालेज प्रशासन संविधान प्रदत्त आरक्षण की अवहेलना करता है और पिछड़ा वर्ग आयोग के सुझाव को नहीं मानता है तो आयोग इस पर कानूनी कार्यवाही करने के लिए बाध्य होगा।
प्रो. सुमन ने यह भी बताया है कि आयोग ने कॉलेज को निर्देश जारी कर कहा है कि ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को आरक्षण देते हुए फिर से इन पदों का कोरिजेंडम दे। इसे डेवलपमेंट कमेटी और स्टाफ काउंसिल से मान्य कराते हुए पदों को निकाले। कॉलेज प्रशासन सभी सूचना उपलब्ध कराए कि कितनी सीटे आरक्षित वर्गो को दी है विभागवार ब्यौरा दे। उनका यह भी कहना है कि आयोग का पत्र मिलने के तीन दिनों अंदर रिपोर्ट भेजे।
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