दिल्ली विश्वविद्यालय ने 14 अप्रैल को एक नोटिस जारी करते हुुए अंतिम सेमेस्टर या अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा को लेकर बता दिया है कि कैसे और कब ये परीक्षाएं कराई जाएंगी। देश में लॉकडाउन की वजह से छात्रों की परीक्षा को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता का माहौल है। डीयू ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया है कि स्नातक, स्नातकोत्तर के लिए अंतिम सेमेस्टर या अंतिम साल की परीक्षाएं कोविड-19 को देखते हुए 1 जुलाई से शुरू होंगी। डीयू ने यह भी कहा है कि कोविड-19 की असामान्य स्थिति को देखते हुए और हेल्थ सेफ्टी टिप्स और सोशल डिस्टेसिंग अपनाने में असमर्थ पाने पर विश्वविद्यालय परीक्षा के वैकल्पिक माध्यम भी अपना सकती है। ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) में डेटशीट के अनुसार छात्रों को अपने घर से ही या निर्धारित किसी और जगह से परीक्षा देनी है। इस ऑनलाइन परीक्षा का छात्र सोशल मीडिया पर अपना विरोध जता रहे हैं। ट्विटर पर #DuAgainstOnlineExam लिखकर छात्र पोस्ट कर रहे हैं। इसी को लेकर डीयू में पीजी की छात्रा श्रेया उत्तम ने डीयू के डीन के नाम खुला खत लिखा है। आइये पढ़ते हैं-
महोदय!
जिस प्रतिष्ठित संस्थान के परीक्षा विभाग के आप डीन हैं, मैं उसी प्रतिष्ठित संस्थान में अध्ययन करने वाली छात्रा हूँ।
स्नातक पूरा करते ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने मेरी मेहनत और लगन का सम्मान करते हुए 2020 में मुझे गोल्ड मैडल से सम्मानित करके अपनी मूल्यांकन क्षमता का शानदार उदाहरण पेश किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने हमारे चहुँमुखी विकास के लिए अनगिनत साधन उपलब्ध कराए जिनका सदुपयोग करते हुए हमारे नेतृत्व में देश के विभिन्न मंचों पर दिल्ली विश्वविद्यालय का परचम शीर्ष पर लहराता रहा है।
परन्तु, महोदय इस शानदार प्रदर्शन को अभी के लिए कोने में रख दूँ तो इस महामारी से पहले हमने लगभग हर सेमेस्टर में टीचर्स स्ट्राइक की वजह से अपनी पढ़ाई बर्बाद होते देखी है लेकिन हम छात्रों ने एग्जाम का विरोध नहीं किया है।
इलेक्शन, फेस्ट और टीचर्स स्ट्राइक के बाद बचे समय में अध्यापकों के द्वारा जल्दबाज़ी में सिलेबस पूरा कराने के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है और एग्जाम से पहले नोट्स पकड़ा दिए जाते हैं। इस बात से भी आप भली-भांति परिचित होंगे।
फिर भी हम छात्र एग्जाम के विरोध में नहीं उतरे।
यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में लगभग हर ज़रूरी किताब से ज़रूरी पन्ने फटे होने और स्टाफ से तमाम शिकायतें दर्ज़ कराने के बावजूद आपकी ओर से इस पर कोई सख़्त कदम नहीं उठाया गया।
यूनिवर्सिटी द्वारा उपलब्ध सोर्स अधूरा होने पर भी हमने उचित प्रबंध करके अपनी पढ़ाई और सिलेबस को पूरा किया।
लेकिन एग्जाम का विरोध करने के लिए नहीं उतरे।
विज्ञान वर्ग में प्रैक्टिकल्स की, मीडिया असाइनमेंट ( रिपोर्टिंग, टाइपिंग, वीडियोज़ एडिटिंग) आदि के लिए लैपटॉप की ज़रूरत होती है।
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण हममें से बहुत छात्रों के पास लैपटॉप नहीं होता, कॉलेज के पुराने लैपटॉप में आधुनिक एप्स नहीं चलते। इन सभी छोटी- बड़ी अड़चनों के बावजूद हमने समय पर बेहतरीन असाइनमेंट बना कर जमा किये लेकिन, कभी एग्ज़ाम का विरोध नहीं किया।
मास्टर्स में अधूरी क्लासेज, अधूरा सिलेबस होने पर भी गृह परियोजना कार्य की बजाय, हिंदी विभाग ने दस दिन पूर्व प्रश्न देकर अपनी देखरेख में मूल्यांकन परीक्षायें आयोजित कराईं, जोकि पूर्णतः असफल हुईं। तमाम छात्र घर से ही उत्तर लिख कर लाये थे। ये विभागाध्यक्ष और अध्यापकों के संज्ञान में था। परन्तु कोई करवाई नहीं की गई। ये जानते हुए भी कि शिक्षा के नाम पर मात्र औपचारिकता हो रही है तब भी हमने अपने स्तर पर पूरी तैयारी करके एग्जाम दिए।
एग्जाम के विरोध में उतरना आपकी नज़रों में हमें भले ही निकम्मा, आलसी दर्शा रहा हो परन्तु सच ये है कि अपने भविष्य के लिए आपसे ज़्यादा हम छात्र चिंतित हैं।
बहुत से छात्र सुदूर इलाकों में मिड सेमेस्टर ब्रेक में घर पर बिना लैपटॉप और कुछ किताबें लेकर आये और जहाँ थे वहीं कैद होकर रह गए। उनमें से एक मैं भी हूँ।
जो पीडीएफ उपलब्ध हैं उनको फ़ोन से दिनभर नहीं पढ़ा जा सकता है। प्रिंटर घरों में उपलब्ध नहीं है।
महोदय! जिन बच्चों के पास अच्छा मोबाइल, लैपटॉप नहीं है वो प्रिंटर की व्यवस्था भला कहाँ से कर पाएंगे। सारे कैफ़ेज बंद हैं। गांव में ऐसे कैफेज़ होते भी नहीं हैं।
हर दूसरे दिन आंधी-पानी के प्रकोप के कारण बिजली की समस्या आम है।
आप यह अवश्य कह सकते हैं कि जहाँ चाह होती है, वहां राह होती है। बिना इंटरनेट के हमने #DuAgainstOnlineExam कैसे ट्रेंड करा दिया? हम ऑनलाइन क्लासेस और एग्जाम की ऑनलाइन होकर ही कैसे आलोचना कर सकते हैं?
परन्तु महोदय! यूनिवर्सिटी वेबसाइट का न खुलना, असाइनमेंट सबमिट करने के लिए लो स्पीड के इंटरनेट से जूझते छात्रों की शिकायतें भी आप तक अवश्य पहुँची ही होंगी।
यूजीसी का फॉर्म भरने के लिए मुझे स्वयं दोस्तों की सहायता लेनी पड़ी।
महोदय! ओपन बुक एग्जाम कोई विकल्प नहीं है। जो छात्र पिछले वर्षों की परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। ओपन बुक एग्जाम और औसत मार्किंग से उनके रिजल्ट पर असर पड़ेगा।
अभी यूनिवर्सिटी के पास कुछ अधूरे काम जैसे पिछले सेमेस्टर के रिजल्ट घोषित करना, पिछले और वर्तमान असाइनमेंट का मूल्यांकन करना जैसे महत्वपूर्ण कार्य हैं जो पहले किये जाने चाहिए।
हम एग्जाम का नहीं मात्र ऑनलाइन एग्जाम का विरोध कर रहे हैं और यूनिवर्सिटी की रेटिंग हम छात्रों के श्रेष्ठ प्रदर्शन से ही आँकी जाती है। आशा करती हूँ आप हम छात्रों की बात पर अवश्य ध्यान देते हुए हमारी समस्या को समझेंगे और निराश नहीं होने देंगे।
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