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क्लीन चिट पर दिलीप कुमार का व्यंग्य

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में सरकार को क्लीन चिट दे दी लेकिन, कांग्रेस कहती है कि दाग अच्छे वाले नहीं है इसलिये जीपीसी से क्लीन चिट मिलेगी तभी मान्य होगी। कांग्रेस जीती तो उसने राहुल गांधी को पप्पू ना होने की क्लीन चिट दे दिया, लोग समझते नहीं हैं कि हमारे मुल्क में एक बूढ़ा आदमी कब से एक चॉकलेट के बदले पप्पू को पास करवा रहा है…पढ़िए, दिलीप कुमार का व्यंग्य 

 


अजीब गोरखधंधा है साहब इन विज्ञापनों ने तो बड़ा कन्फ्यूज़ कर दिया, कमबख्त कहते हैं कि दाग धोने वाले पाउडर ही कहता है कि दाग अच्छे हैं, उधर जीवन के हर क्षेत्र में क्लीन चिट की डिमांड बढ़ रही है। जिसे देखो क्लीन चिट लिए खड़ा है, जितने क्लीन चिट की ज़रूरत है उतने क्लीन चिट मिल नहीं पा रहे हैं तभी तो लोग कहते हैं कि दाग अच्छे हैं। अभी एक नारीवादी नारी ने एक नारीवादी पुरुष लेखक को नारियों के शोषण से क्लीन चिट दे दी। आसमान में कहीं महफिल जमाए वो लेखक मुस्कुरा रहा होगा।

ना, ना अंदाज़ा ना लगाएं वो हिंदुओं को गरियाते रहे हैं और हिंदुत्व से उन्हें नफरत है इसलिये मरने के बाद वो स्वर्ग नहीं गये होंगे। उनके स्वर्ग ना जाने के दो कारण होंगे, पहला तो वो वहां सुरा ही मिलती है, इसलिये एक ही ब्रांड के सोमरस पान से उन्हें उकताहट हो जाती है उन्हें विलायती पसंद है, दूसरी वो छरहरी अप्सराओं को नृत्य देखकर परेशान हो जाते हैं। जीवन भर वो सिगरेट का कश खींचकर कहते थे “मैन लाइक्स फ्लेश, नॉट बोन्स” यानी कि खायी-अघाई तारिकाएं। इसलिये स्वर्ग का उन्होंने बहिष्कार कर दिया होगा, ऊपर वो बंदा अपने दागों को गिन रहा होगा और यहां क्लीन चिट चिपकाई जा रही है उस पर। हाय रे क्लीन चिट।

वैसे मोनिका लेविंस्की ने भी बिल क्लिंटन के इश्क़ के दागों को संभाल कर रखा है भले ही हिलेरी ने बिल क्लिंटन को क्लीन चिट दे दी हो।भाजपा चुनाव में हारी तो उसने तुरंत मोदी जी को क्लीन चिट दे दिया कि हार के लिए वो नहीं बल्कि राज्य इकाई जिम्मेदार हैं जीते तो मोदी जी की वजह और हारे तो राज्य इकाई यानी क्लीन चिट दिल्ली के पास और दाग राज्य इकाई पर।

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में सरकार को क्लीन चिट दे दी लेकिन, कांग्रेस कहती है कि दाग अच्छे वाले नहीं है इसलिये जीपीसी से क्लीन चिट मिलेगी तभी मान्य होगी। कांग्रेस जीती तो उसने राहुल गांधी को पप्पू ना होने की क्लीन चिट दे दिया, लोग समझते नहीं हैं कि हमारे मुल्क में एक बूढ़ा आदमी कब से एक चॉकलेट के बदले पप्पू को पास करवा रहा है। ये बूढ़ा आदमी दुष्यंत की कविता के विनोबा भावे नहीं है बल्कि अपने बेरोजगार बेटे को पाल रहे अमिताभ बच्चन साहब हैं। जिन्हें बोफोर्स सौदे की दलाली से क्लीन चिट हाल ही में मिली है। तो हजरात किस्सा कुछ यूं है कि एक भारतवंशी लंदन के लेखक ने एक किताब लिखी जिसकी हिंदी तर्जुमा है गहरी रात। अब गहरी रात और क्लीन चिट का चोली दामन का साथ है। अक्सर गहरी रातों में विचरण करने वाले लोग एक दूसरे को क्लीन चिट देते रहते हैं। तो लेखक की किताब क्या शाया हुई एक जलजला आ गया। बहुतेरी महिलाओं ने वो किताब बढ़-चढ़ कर खरीदी। किताब पर कुछ आरोप थे, सो मैंने भी पढ़ी, पढ़ कर कुछ असहज था। एक कवियत्री मिल गयीं जो थोक के भाव वो किताब खरीद रही हैं मैने पूछा “किताब में कुछ आपत्ति जनक है ना, इतराते हुए बोलीं” नहीं, बे, मैंने उसे क्लीन चिट दे दी है”। मैं हैरान “लेकिन आप तो कविता लिखती है,अचानक से गद्य से प्रेम”। वो झल्ला कर बोली “अबे भूतनी के तुझे जरा भी समझ नहीं, वो तो मैं देखना चाहती थी कि लंदन में प्लाजो, काफरी, सैंडल, शार्ट किस साइज के चलते हैं”। अब मेरे सर खुजाने की बारी थी लेकिन दस किताब क्यों, एक ही में पता चल जाएगा”। उसने गुस्से से अपने दांत किटकिटाए” अबे उजड़े चमन, कुछ खास बात है पर्सनल”। मैंने तत्काल प्रतिवाद किया “वो शरीफ,चरित्रवान और बाल-बच्चेदार आदमी हैं, ऐसे नहीं हैं वो” वो हंसते हुए बोली “तू गोबर टाइप का लिखता है आज पता चला कि तेरी बुद्धि में भी गोबर भरा है। अबे वो सब बात नहीं है किताब तो मैंने फिटनेस के चक्कर में खरीदी है। देख बे, मैं हूँ पैंतीस की दिखती हूँ पैतालीस की वजन के कारण। और वो लेखक है पचास साल का मगर दिखता है पचीस साल के लड़कों जैसा वजन के मामले में। उसकी वाल पर घूम आयी डाइट प्लान नहीं दिखा। सौ किताबें उसकी खरीद लूंगी तब उससे संपर्क हो जाएगा तब उससे उसका डाइट प्लान और फिटनेस सीक्रेट पूंछ लूंगी। समझा बे अमावस के चाँद”। वो जिस जगह खड़ी थी वहां फर्श पर टाइल्स लगी थी और उन्होंने हाई हील सैंडल पहन रखी थी वरना उस महिला के पांवों की धूल सर माथे लगा लेता। किताब ने बड़ी हलचल मचायी।

मध्य भारत में सफेद मूसली बेच रहे एक डॉक्टर का धंधा चौपट हो गया वो डिप्रेशन में हमारे एक मनोचिकित्सक मित्र के पास मुंबई पहुंचा कि जैसे-जैसे इस किताब की बिक्री बढ़ रही है वैसे-वैसे उसके सफेद मूसली की बिक्री घट रही है। उस मनोचिकित्सक ने उस डॉक्टर को रवाना करने के दो महीने बाद मुझे फोन किया “दोस्त, एक मदद कर दो, इस लेखक से इस किताब के प्रकाशन के अधिकार मुझे दिला दो। मैं अमेज़न से मरीजों को किताब खरीदवा के थक गया हूँ। मुझे कमीशन भी नहीं मिलता जो मेरे पेशे के खिलाफ है। तुम ये सेंटिग करा दो तुम्हे भी कमीशन मिल जायेगा। मुझे बहुत हैरानी हुई वैसे ही जैसे जापानी हैरान हैं कि दुनिया भर में उनके उत्पाद को एक किताब ने पिछाड़ दिया। अब दरियागंज में जापानी तेल ही नहीं बल्कि गहरी रातें भी बिकेगी। उधर यूरोपीय यूनियन ने इंग्लैंड से कहा है कि वो बरेक्जिट से फिलहाल ना निकले और इस किताब के जरिये यूरोप की घटती आबादी को बढ़ाने का प्रयास किया जाये वास्तविक रूप से ना कि सिर्फ शरणार्थियों के जरिये।

इधर भारत में शिलाजीत और च्यवनप्राश की बिक्री घट गयी। सर्दियों में किताब ने वो गजब ढाया कि जो लोग उस किताब को खरीद नहीं सकते थे वो नेट पर उसे देखकर पुण्य प्रसाद से आच्छादित हो जाती हैं। हिंदी में सॉफ्ट पोर्न लिखने वाली लेखिकाओं ने उस लेखक को अगरबत्ती सुलगा कर दुआएं दी कि हे लेखन के उद्धारक जिस प्रकार कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी उसी तरह तुमने हमारे सॉफ्ट पोर्न को इरोटिका रोमांस जैसा कालजयी शब्द दिया। इरोटिका रोमांस, हिंदी साहित्य के सॉफ्ट पोर्न का टीना फैक्टर बन गया है, काश वो लेखक दिल्ली आता तो ये वीरांगनाएं उसके चरण रज लेतीं। इसी उहापोह में शिलाजीत और च्यवनप्राश दोनों को बेचने वाले अमिताभ बच्चन के पास पहुंचे, शिलाजीत वालों ने कहा कि एक किताब की वजह से उनकी बिक्री घट गई है वो चाहते हैं कि उनका शिलाजीत बच्चन साहब बेचें, और च्यवनप्राश वालों ने कहा कि अब वो बच्चन साहब को अफोर्ड नहीं कर सकते विज्ञापन हेतु। क्योंकि लोग अब च्यवनप्राश नहीं खाते बल्कि गहरी रातें पढ़ते हैं। बच्चन साहब ने एक किलो शिलाजीत और एक किलो च्यवनप्राश दोनों से ले लिया और कहा कि सोचकर और चखकर बताऊंगा, साथ में गहरी रातें की दो प्रतियां भी मुफ्त झटक ली। यकीनन इस मुफ्त प्रति से उस भरतवंशी लेखक की आत्मा बहुत रोई होगी, जिसने किसी आलोचक को भी किताब की एक प्रति तक मुफ्त ना दी। शिलाजीत और च्यवनप्राश वालों को जाते ही उन्होंने एक प्रति अपने नौकरों से सुपुत्र को भिजवा दी और दूसरी प्रति लेकर महेश भट्ट के आफिस चल दिये जॉइंट वेंचर में एक फ़िल्म बनाने के लिये।

अमिताभ बच्चन ये समझ चुके थे कि पोते का मुख और अभिषेक की सोलो हिट फिल्म का सुख वो इस गहरी रातें किताब के जरिये ही पा सकते हैं। अमिताभ वहां पहुंचे तो महेश भट्ट ने उनकी योजना सुनकर अपनी व्यथा बतायी और फिर रोते हुए खुशी के मारे उनको गले लगा लिया और सहर्ष फ़िल्म बनाने को राजी हो गए। उन्होंने कहा “बच्चन साहब, मुझे लोग कहते हैं कि मैंने देश को स्मूच किंग इमरान हाशमी दिया, अब इस किताब में साक्षात अगणित कामदेव विराजमान हैं, अब मुझे अश्लील फ़िल्म देने वाले के टैग से मुक्ति मिल जाएगी। वैसे कहां मिली आपको ये क्लीन चिट। मैं इसे मल्लिका सहरावत को दूंगा।”, एक कलीन चिट मुझे भी चाहिये, कहां और कितने की मिलती है। महेश भट्ट और अमिताभ बच्चन ने आवाज़ की दिशा में घूम कर देखा सामने राखी सावंत खड़ी थीं और नाना पाटेकर आते हुए दिख रहे थे।

-दिलीप कुमार

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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